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***मेरा ये रब भा गया …..***
Hindi Poetry |
सुर्ख मेहँदी की महक और आँखों की हया
चेहरा क़समों और वादों का याद आ गया
ख्वाब हकीकत बने सुर्ख जोड़े में लिपट
जिन्दगी भर के लिए इक अजनबी भा गया
उखड़ी साँसों में जिस्मों की दूरी मिटी
इन साँसों को साँसों का मधुबन भा गया
आवाज चूड़ी की दुश्मन बनी खामोशी की
जब आगोश में मेरा मेहरबान आ गया
मैं न जानूं खुदा तेरी शक्ल है क्या
मेरे दिल को तो मेरा ये रब भा गया ,मेरा ये रब भा गया …..
सुशील सरना
“आवाज चूड़ी की दुश्मन बनी खामोशी की
जब आगोश में मेरा मेहरबान आ गया
मेरे दिल को तो मेरा ये रब भा गया,”
अब बचा ही क्या भाने के लिए,
इतना ये अंदाज़ दिल को भा गया …
बहुत खूब, खूबसूरत सी रचना
मनभायी, हार्दिक बधाई…
@Vishvnand,
इस मनभावन सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सर जी
SUNDAR SI RACHNA YE BAHUT BHA GAI
PADHKAR ISE BAHUT MAJA AA GAYA……….
@dr.paliwal,
बहुत बहुत शुक्रिया आपकी इस प्रशंसा की फुहार का डा.साहब