« My Saviour !! | मुझे इंसान से मोहब्बत है » |
हे मीत मेरे
Hindi Poetry |
(१)
खून के रिश्ते भि फीके पड़ गए |
धर्म के नाते भि धुंधले हो गए ||
जब नहीं धन गिरह में बाकी रहा |
मित्रता के मायने भी खो गए ||
(2)
मित्रता तो मीत अब नंगी कटारी |
अवसरों की बाट जोहे उम्र सारी ||
मिलते ही मौका जिगर कहते हैं जिसको |
पीठ में उसके हि सीधे घोंप मारी ||
(3)
मीत मेरे बनके फिर नादान तुम |
भूलकर भी मित्रता करना न तुम ||
मित्रता के मायने अब भिन्न हैं |
शब्द की मंशा भि देखो खिन्न तुम |
खून के रिश्ते भि फीके पड़ गए |
धर्म के नाते भि धुंधले हो गए ||
जब नहीं धन गिरह में बाकी रहा |
मित्रता के मायने भी खो गए ||
(2)
मित्रता तो मीत अब नंगी कटारी |
अवसरों की बाट जोहे उम्र सारी ||
मिलते ही मौका जिगर कहते हैं जिसको |
पीठ में उसके हि सीधे घोंप मारी ||
(3)
मीत मेरे बनके फिर नादान तुम |
भूलकर भी मित्रता करना न तुम ||
मित्रता के मायने अब भिन्न हैं |
शब्द की मंशा भि देखो खिन्न तुम |
मित्रता पर सुन्दर ह्रदयस्पर्शी कटाक्ष,
बढ़िया अर्थपूर्ण कविता
मनभावन; हार्दिक बधाई.
दोस्ती का गम नहीं अब, जब से जाना ये सही,
दोस्ती है भूल जाना मतलब निकल जाने के बाद ….
(कृपया font साइज़ बढ़ा दीजिये. बहुत छोटी है)
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