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आदमी को न दे अहमियत आदमी.
Hindi Poetry |
बेवफा आदमी बदनियत आदमी
आदमी को न दे अहमियत आदमी.
रिज़्क की फ़िक्र और साधना स्वार्थ की
रत इसी में मिला अनवरत आदमी.
ज़िन्दगी को जहन्नुम बनाता रहे
और चाहे है खुश आक़िबत आदमी.
खुद की माने कोई भी वक़अत आदमी.
दर असल वक़्त के मातहत आदमी.
खुद के हाथों हिरासां औ’ हलकान है
कर के बैठा है क्या अपनी गत आदमी.
A nice gajl with deep feelings, liked it Sing saahib
@sushil sarna, Thanks Sarna saheb.
achchi lagi 🙂
@prachi sandeep singla, thanks prachi