« Every moment | कल आप से तुम, तुम से फिर आप जो तू होंगे. » |
संगीत है
Oct-Nov 2011 Contest |
संगीत है
सुर-साज़ के सानिध्य से संगीत का उद्ग्म हुआ,
हर साँस से उत्पन्न आवाज़ ने हृदय को यूं छुआ,
जैसे ध्वनि की गूँज रोम-रोम में हो रम रही,
हर शब्द से संगीत की भिनी सुगंध आ रही,
मानो हो जिन्दगी से जिन्दगी का ताल मिल रहा,
हर एक में अंकुर हो प्रेम भाव का उपज रहा,
ये रीत है या प्रीत है, मनमीत है या गीत है,
अशान्त हो एकान्त हो हर मन कहे संगीत है
जननी ने जब जन्म दिया, वो क्षण प्रथम रुधन का था,
वो नाद भी लय-मान था, संगीत का मेहमान था,
ममतामयी वो लोरी थी, लिपटी हुई सुर-स्नेह में,
संगीत का रस भर दिया माँ ने मेरी इस देह में,
ममत्व के इस स्पर्श से, चँचल जो मन हर्षित हुआ,
संदेश मातृप्रेम का हर एक के मन को छुआ,
ये रीत है या प्रीत है……..हर मन कहे संगीत है
बचपन में मैं अनविज्ञ था, सुर-सति के ज्ञान से,
मिट्टी के घोड़े हाथी मेरे खेल के सामान थे,
छूटते ही हाथ से जो टूटता खिलौना था,
कभी हँसी जो आती थी, आता कभी जो रोना था,
ना जाने क्यूँ इस दौर की महक में भी इक राग था,
जुडते गये संगीत से आभास था आग़ाज का,
ये रीत है या प्रीत है……..हर मन कहे संगीत है
था सुरमय सफ़र वो बाल्यकाल से तारुण्य का
लडते हुए बीते वो दिन छुट-पुट में भी मिठास थी
इक गीत की लहर वो थी अनथक प्रयास कर रही
उम्मीद को बढा रही, थी जोश को जगा रही,
हर सफ़र में प्रेम के वो दीप थी जला रही,
दिशाविहीन की दिशा, संगीत ने ज्यूं मोड दी,
पथ-प्रदर्शक बन संगीत, प्रेम राह जोड दी
ये रीत है या प्रीत है……..हर मन कहे संगीत है
हर छोर पर, हर मोड़ पर, हर राह में, उत्साह में
उदास थे, मायूस थे, खामोश थे, बेहोश थे,
अन्जान में बेजान थे, सुजान में हैरान थे
विराग में अनुराग था, कुछ कष्ट था सब नष्ट था
संदेह में भी स्नेह था, उस हार में भी जीत थी
उस द्वेष में भी राग था, उस प्रेम में भी प्रीत थी
तकरार में, इकरार में, इंकार में इजहार था
आक्रोश में संतोष था, स्वरों में मैं मदहोश था
संगम सुरों का प्रबल था, अद्भुत अमिट वो प्यार था
ये रीत है या प्रीत है……..हर मन कहे संगीत है
(विश्वस्थलि)
एक कविता ! बिखरे हुए मोतियों सी .
धन्यवाद ! बिखरे मोतियों को समेटने के प्रयास में विश्वस्थलि !
बहुत सुन्दर आंकलन संगीत का, बधाई हो.
धन्यवाद ! सुर-साज़ का सानिध्य ही संगीत का व्याख्यान है !
रचना मनभावन और बहुत विशेष है
हर सच्चे संगीत प्रेमी को लगता हर चीज़ में संगीत है
राग और सुरों से भरा सारा समा ही काव्यमय संगीत है …
सुन्दर संगीतमय रचना के लिए हार्दिक प्रशंसा है
धन्यवाद ! स्वदेश में विशेष है, अतुल्य भारत देश है !