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प्याले पे प्याले पी के भी, दिल में वही कमी…!
Hindi Poetry |
प्याले पे प्याले पी के भी, दिल में वही कमी…!
प्याले पे प्याले पी के भी, दिल में वही कमी,
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं………. !
किरकेटरों को हमने है हीरो बना दिया
सीमाओं पर जवान क्या हीरो बड़े नहीं
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं………. !
देश के हीरो हैं जो खेतों को कस रहे,
क्यूँ खुदकुशी से उनको बचाया गया नहीं……
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं………..!
इतनी हुई बारिश, की कई घर उजड़ गए,
कितने घरों मे पीने को पानी भी अब नहीं,
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं…………!
नेता जो हमको कितना कुछ करने को कह रहे,
कुछ ख़ुद ही करके हमको क्यूँ दिखाते ये नहीं.
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं………. !
पैसे ने पीछे अपने सबको भगा लिया,
सुख छोड़ हमको चल दिया हमको ख़बर नहीं,
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं…………!
गाडी बड़ी है, घर बड़ा, है पास सब बड़ा,
नींद उड़ गयी है कर्ज में बतलायें क्यूँ नहीं,
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं………..!
मंत्री कहें इनने किया सब देश की खातिर
किसके लिए किया है क्या हम देखते नहीं
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं…………!
जीता चुनाव पैसों से अब बन गए अमीर
लूटा है देश को क्या ये सब जानते नहीं
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं…………!
आया चुनाव कर रहे वादे बड़े बड़े
रिश्वत के केन्सर से ये बचेंगे अब नहीं
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं…………!
लायेंगे लोकपाल को वादे ये कर रहे
इनके ये झूट का हम सच क्या जानते नहीं
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं…………!
इनको सबक सिखाने की ही प्यास ये बड़ी
जब तक न होगी जीत हम रुकेंगे अब नहीं
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं………. !
“विश्वनंद”
अत्यंत गहन भवनात्म्जत्मक रचना के लिए हार्दिक बधाई ! बहुत खूब !!!
@ashwini kumar goswami
आपकी यह प्यारी प्रतिक्रिया मेरा प्रयास सार्थक और मन हर्षित कर गयी …
आपका तहे दिल से शुक्रिया …..
सहज सरल स्व स्फूर्त रची गई यह रचना अच्छी लगी
@rajendra sharma ‘vivek’
सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
अच्छी बाते उठाई है …अच्चा लगा आपका लिखा पुनः पढ़ना
@sakhi
Encouraging comment के लिए आपका हार्दिक शुक्रिया
samaj ko aaina dikhaya hai! HUm sab ko ye pata hai–aur kya hona chahiye ye bhi pata hai–phir hum aage kyo nahi badhte.Hame is samaj ko badalna hoga! kyo ki hum bhi kahi na kahi is ke jimmedaar hain—prerna mahi “Ek ati uttam rachan”–badahai sir—kuch nije karno se abhi sakriye nahi ho pa raha hun–jald hi wapas aaoonga.Apna aasish banaye rahiyega sir.Aap hi hamare prerna shrot hai.
@rajivsrivastava
pratikriyaa ke liye dhanyvaad aur aapke muh me shakkar
Ham aapko miss karate hain par Mujhe maaloom hai jab jab samay milaagaa aapme passion for poetry aapko p4poetry par jaroor khiichatii le aatii rahegii.. Ham aapke bas swasthataa kii duaa karte rahenge.
देश के हीरो हैं जो खेतों को कस रहे,
क्यूँ खुदकुशी से उनको बचाया गया नहीं……
पीकर के प्यास बुझ सके, वो प्यास ये नहीं……… वाह…..
बहुत खूबसूरत एवं सच्चाई को व्यक्त करती हुई इस रचना के लिए बहुत बहुत बधाई विश्वानंद जी……
@Sushil Joshi
आपकी ये प्रोत्साहनपर प्रतिक्रिया बहुत खुशी दे गयी
आपको हार्दिक धन्यवाद