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***फिर किसी के लिए …***
Hindi Poetry |
आँख नम हो गयी फिर किसी के लिए
रात भर शमा तड़पी फिर किसी के लिए
भूल चुका था ये दिल उनको अरसा हुआ
आज धड़का ये दिल फिर किसी के लिए
सुन न पाये कहीं उनके आने की आहट
बंद पलकें न की हमने फिर किसी के लिए
जख्म यादों के क्योँ आज रिसने लगे
गुल पे शबनम रुकी फिर किसी के लिए
अलविदा कह गए थे जो हमें इक मोड़ पे
रुक गए क्योँ कदम फिर किसी के लिए
सुशील सरना
बड़ी खूबसूरत ये नज़्म आपकी
चाहूँ फिर फिर पढ़ना इसी के लिए
हार्दिक बधाई
आपकी इस खूबसूरत प्रतिक्रिया का हार्दिक शुक्रिया सर जी