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वो एक अंधेरी रात थी
Hindi Poetry, Jan 2012 Contest |
वो एक अंधेरी रात थी
वो एक अंधेरी रात थी, प्यार भरी मुलाकात थी.
चाँद और धरती का मेल था, क्या ग़ज़ब ये खेल था
चाँद था वो ईद का ,चिलमन से था जो दिख रहा.
धरती बेकरार थी, चाँद से मिलने जा रही.
नज़रें जो टकरा गईं, दिलों में प्यार जगा गईं.
छाया ऐसा जोश था, दोनों को न होश था.
बेखुदी का आलम था, बरस रहा सिर्फ प्यार था.
कुछ वक्त वो साथ-साथ रहे, फिर चलने अपनी राह लगे.
दोनों ही मदमस्त हुए, चाल मतवाली चलने लगे.
चाँद तो मध्होष था, धरती पे छाया नूर था.
जज़्बातों की वो रात थी, क्या अजब ये बात थी.
वो एक अंधेरी रात थी, प्यार भरी मुलाकात थी.
Jaspal Kaur
चित्रण मनोहारी!
बहुत खूब लिखा है आपने.
A good poem.
Nice poem
A dark night starred with meeting & love thoughts
Liked much
Bahut khoob !badahai