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इक अंडे का फंडा ….!
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इक अंडे का फंडा ….!
रामलाल ने पाली इक मुर्गी थी
पड़ोसी श्यामलाल के घर बार बार जाती थी
इक बार जो गयी तो उसने वहीं अंडा डाल दिया
वापस आयी तो रामलाल की बीवी को पता चल गया
तो ये उसने तुरंत रामलाल को बताया
रामलाल श्यामलाल के घर अंडा लेने पहुंचा
श्यामलाल ने अंडा देने से इनकार कर दिया
बोला मेरे घर में दिया हैं तो ये अंडा है मेरा
रामलाल बोला तेरा कैसे, मुर्गी का मालक हूँ मैं अंडा है मेरा
बात बात में इस बात पर बहुत झगड़ा हो गया
और इन्साफ के लिए केस रामलाल को अदालत में दर्ज कराना पडा
अंडे को अब श्यामलाल को अदालत के कब्जे देना पड़ गया
और इस केस की सुनवाई चलने लगी
दोनों तरफ के वकीलों ने अपनी अपनी बाजू पेश की
कायदे क़ानून के दस्तावेज़ में ढूँढ़ ढूँढ़ कर दाखिले दिए
जिनको सुन सुन न्यायाधीश जो जो नियुक्त हुए संकट में पड़ गए
ऐसी केस का पहले कोई उदाहरण नही था सहायता के लिए
वो डेट पर डेट देते गए पर फैसला नही सुनाया गया
आखिर काफी वर्षों बाद फैसला जो आया वो ऐसा था
“न अंडा रामलाल का है न श्यामलाल का
अंडा मुर्गी का है और उसपर मुर्गी का ही हक़ है ”
“और इस फैसले पर याचिका करता गर चाहें तो उन्हें
पंद्रह दिनों के अन्दर उपरी अदालत में अपील करने की इजाज़त है”
बेचारे उस अंडे का और मुर्गी का आज क्या हुआ है
न किसीने जानने की कोशिश की न किसीको मालूम है
इस बात पर शायद अलग केस दर्ज करने की जरूरत है
आजकल हर चीज़ का झगड़ा अदालत में दाखल होता है
और हर मामले का ऐसा ही कुछ इन्साफ होता रहता है
बड़े बड़े घोटाले, हथियाने के, आतंक के और रिश्वत के
इन मामलों पर भी कुछ ऐसा ही नही चल रहा है क्या आज ..?
” विश्व नन्द ”
nyaay ho chahe n ho nyaay hota dikhna chahiye.
@Siddha Nath Singh ,
Thanks for the comment.
Sach me Nyaay ko honaa chaahiye aur ho rahaa hai aisaa dhikhanaa bhii chaahiye
Par Nyaay hotaa nahiin thaa par honewaalaa hai aisaa dikhaayaa jaroor jaataa thaa
Par aajkal to vo hotaa kataii nahii aur kabhii honewaalaa hai aisaa dikhaaii hii nahiin detaa…
Bahut hii kharaab haalat hai