« आँखें तो हुई नम, मग़र चेहरा मुस्कुराया | The Fall » |
इक शख्स खो गया है
Hindi Poetry |
कुछ रास्तों की धूल थी
कुछ मंज़िलों के ख़्वाब
निकले जो हम सफ़र पे
तो यही हम-सफ़र मिले
मंज़िल मिलेगी कैसे
रस्ता ही जब ग़लत हो
वो तो तभी मिलेगी
जब सही डगर मिले
इक शख्स खो गया है
दुनियां की भीड़ में
उसका पता चले तो
कुछ अपनी ख़बर मिले
शरमा के इस अदा से
उसने नज़रें यूँ झुका लीं
उसकी नज़र उठे
तो फ़िर से नज़र मिले
वाह
अंदाज़े बयाँ न्यारा
मन भाये ये गिले …
@Vishvnand, बहुत धन्यवाद, विश्व जी.
antim do panktiyon me khvahishon ka jvaar umad raha hai.bahut khoob
@siddha nath singh, शुक्रिया एस. एन.