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किसका सुख किसको भाता है
Hindi Poetry |
किसका सुख किसको भाता है
कौन यहाँ हर वक़्त हँसता है
जीवन ने जब साँस चुराई
मौत बन कर दुल्हन आई
दो राहों के थके राही
चौराहे पे मिले ज्योंही
जग उसका उपहास करता
सावन अग्नि बरसता है
किसका सुख…
खुद करो तो सब अच्छा है
दूसरों का कम बुरा है
छुप-छुप कर करता पयाम अवाम
इजहार बुरा है न करो सरेआम
दूसरों के लिए इश्क एक इल्जाम है
खुद के लिए इश्क बड़ा इनाम है
दिवाने ही दिवानो की जीना हराम करता है
किसका सुख…
चिंता न कर आजकल
ढूंढ़ ख़ुशी के दो पल
हंसले हंसा ले जीवनभर
जीवन है एक पल
क्या सोचेंगे जगवालें
इसकी न फिक्र कर
है बहुत यहाँ तुझपे हंसने वाले
यहाँ यार न प्यार का जिक्र कर
जग की लीला अपरम्पार
सब यही रह जाता है
कौन अपने साथ ले जाता है
किसका सुख…
शशिकांत निशांत शर्मा