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कुछ शेर
Hindi Poetry |
मत हो दुखी,किसीकी बदजुबानी से तेरा क्या जाता है ,
सच कहा है किसी ने,जो दिल में है जिसके वही तो जुबां पे आता है ।।1।।
तेरी शराफत कोई समझेगा नहीं, ये खुशफहमी बस तेरे दिल को दिलासा है,
जुबां की अलग होगी,निगाहों की निजामे-जहां में मगर एक ही भाषा है ।।2।।
उसने हर नेमत फुरसत में बनाई और बरसाई है ,
पर वक़्त और धैर्य लगता है उसको कमाने में ,
शायद मेरी कोशिशों में ही कोई कमी रह गई होगी,
वर्ना ऐसा मर्ज नहीं बना,जिसकी दवा न हो ज़माने में ।।3।।
वो रोज वादा करतें है,रोज भूल जाते है,
इस हरकत से नाखुश हुए कई दफा है,
अब जाकर समझ में आया है ,हमें
अपनों से उनकी ये एक अदा-ए -वफ़ा है ।।4।।
खाली घर से कोई इतना तो बेकल नहीं होता ?
शायद मां है,वो जो परिंदा है ।।
कभी हमारे शेर भी तुम्हें दिलअजीज होंगे ,
अफ़सोस अभी तो हम जिन्दा हैं ।।5।।
बहेतरीन…!
dhanywaad amitji.
वाह वाह बहुत खूब, मज़ा आ गया पढ़ने में
और अंदाज़े बयाँ भी खूबसूरत मिजाज़ ठिकाने लगाने में
हार्दिक प्रशंसा के साथ अभिनन्दन ….
dhanywaad sir,”naari abhyarany” bhi padhenge to mujhe khushi hogi .
bahut khoob
shukriya jaspaalji.
Little bit cliched but interesting read nevertheless 🙂
Likhte rahiye! 🙂
बहुत खूब….मज़ा आ गया पद कर…!!
अंदाज़-ए-बयाँ भी काबिल -ए – तारीफ…!!