« बड़े हो रहे हैं | कभी तू मुझसे दूर कहीं , कभी तू मुझमे पास है » |
धड़कने चलती है मेरी , साँसों से तेरी सनम
Hindi Poetry |
छुप गया है बादलो मे , शम्स यू ही कही
नजर चुराए बैठा है , चाँद जैसे है ही नही
सोचता हू मै कही तुम , कुछ घबराए रहते हो
अपनी नजरो की चमक से ,फलक सजाए रह्ते हो
***
होश तो है ही नही , अब हर कोई बेहोश है
दिल मे मेरे भी , तुम्हे पाने का एक जोश है
मेरी याद दिल मे कही , तुम बसाए रह्ते हो
मुझमे समाए मै को तुम , ख़ुद मे समाए रह्ते हो
***
धड़कने चलती है मेरी , साँसों से तेरी सनम
देख मेरा हाल , कर तू , मुझपर , थोड़ा रहम
लग रहा मुझको यही तुम , कुछ छुपाए रह्ते हो
अपनी साँसों से फिज़ा को , तुम महकाए रह्ते हो
***
रचना सुन्दर शेरों से सज्ज है,
बहुत भायी
बधाई
@Vishvnand, Thank you Sir Ji
Vijayaji Har Sher Umda Hai…
Rachna Badi achchhi hai….
Bada Maja Aaya Padhkar……
@dr.paliwal, Thanks Sir Ji
good-one poetry
@sushil sarna, Thank you Sir Ji