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चल पड़ा मुखातब होने, मख्सूसे आशिक से मै…

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Hindi Poetry

आशिकी के हर इन्तहां मे, गुजरा बेएतिबारी से मै                  [बेएतिबारी = अविश्वास]

चल पड़ा मुखातब होने, मख्सूसे आशिक से मै       [मुखातब = मिलने]  [मख्सूसे = प्रमुख]

अश्क इतने बह गए की, भर गया सारा गतीम                       [गतीम = समुद्र ] 

कर दिया मुर्ददे इश्क ने, एक आशिक को यतीम      [यतीम = अनाथ] [मुर्ददे = तिरष्कृत]

आज फ़िर बेईमानी है, कसमो की सारी बातें

अब नही कटते दिन, गम से भरी काली रातें

                                 ***

था कभी यह अम्द तेरा, न छोडेगी साथ मेरा                                 [अम्द = संकल्प]

रूठ गए अरमां सब मेरे, जब से छूटा साथ तेरा  

इन्तजार मे तेरे ही, कट गई आधी उमर

बाकी आधी कट रही, पीकर तन्हाई का जहर  

आज फ़िर बदनामी है, इश्क मोहब्बत मे मुलाकाते

अब तो बस होती है हरपल, इन आँखों से बरसाते

                                  ** *

करती थी रौशन अशीयत, जो कभी चहरे का नूर                          [अशीयत = रात]

हो गए है हमसे वो, अब न जाने कितने ही दूर  

अब्र भी छा गए फलक पर, देख मेरी आँखों का पानी                   [अब्र = बादल]

बह रहा सैलाब बनकर, दर्द मेरा अब है नूरानी                            [नूरानी =चमकदार]

आज फ़िर अनजानी है, तेरे घर की जानी राहे

अब तो बस उठती है दिल से, न जाने कितनी ही आहे … 

 

2 Comments

  1. bhoomika says:

    था कभी यह अम्द तेरा, न छोडेगी साथ मेरा [अम्द = संकल्प]

    रूठ गए अरमां सब मेरे, जब से छूटा साथ तेरा

    इन्तजार मे तेरे ही, कट गई आधी उमर

    बाकी आधी कट रही, पीकर तन्हाई का जहर

    आज फ़िर बदनामी है, इश्क मोहब्बत मे मुलाकाते

    अब तो बस होती है हरपल, इन आँखों से बरसाते
    bahut hi sundar line likhi he

    par intna dard kyun?
    sir………..

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