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बैठी तुम….!

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Crowned Poem, Hindi Poetry

This poem immerged after reading Renu’s beautiful poem ” Old Lady by the Gate “, the difference being the Lady in this poem is not old but the writer is,

बैठी  तुम….!

बिखरे  बाल  लिए  बैठी  तुम,
गमगीं हो,  कुछ सोच  रही  हो,
नहीं जानता पर लगता है,
विरह का दुःख तुम  झेल रही हो

इस नीरसता  में  भी  तुम  तो,
सुन्दर  सी  कविता  जंचती हो,
चित्रकार  मैं  नहीं  मगर,  तुम 
चित्र सी मन में उतर रही  हो.

लगता अब ये कलम भी तुझपर,
कविता  लिखने  तरस  गयी हो ….
और चाहती तुमसे सुनाना,
तुम्हरे मन जो बीत रही हो …..!

इसीलिये ये लिखकर दिल को,
सुखदुःख से नहलाया मैंने.
तुम्हे देखने का ये अनुभव
मन ही मन में संजोया मैंने…..!

           —- ” विश्व नन्द ” —-

15 Comments

  1. Preeti Datar says:

    चित्रकार मैं नहीं मगर, तुम
    चित्र सी मन में उतर रही हो.

    ^^Loved those lines….
    VVG, very good poem 🙂

  2. sushil sarna says:

    क्या बात है-कवि तो बस अपनी काव्य कृती के लिए विषय की तलाश में रहता है विरह में भी श्रृंगार का वर्णन एक कवि के ही बस की बात है-एक सुंदर रचना-बधाई

    • Vishvnand says:

      sushil sarna जी,
      आपके इस कमेन्ट के लिए बहुत शुक्रिया.
      जैसी ही आज रेनू जी की कविता पढ़कर ये उभरी, वैसे ही पोस्ट कर दिया
      आपको पसंद आयी बहुत अच्छा लगा.
      आपकी जीवनसंगिनी पर लिखी कविता पढ़कर मेरे भी एक अलग सी नयी रचना उभरी है जिसे मै जल्द ही पोस्ट करूंगा. आपके कमेन्ट का हरदम इन्तेजार रहता है. धन्यवाद

      • sushil sarna says:

        @Vishvnand,
        श्री वी.आनंद जी, आपको मेरा कमेन्ट अच्छा लगा, मेरा अहोभाग्य आनंद जी, मेरी प्रेरणा तो मेरी जीवन संगिनी है और जहाँ तक मैंने आपको पडा है कहीं न कहीं आपकी प्रेरणा भी शायद आपकी जीवन संगिनी ही है लगता है अपनी प्रेरणा के प्रति आपका काव्य प्रेम ऐसे ही छुपा है जैसे मृग की नाभि में कस्तूरी- अच्छा लगा आप अपनी कस्तूरी की भेंट अपनी प्रेरणा को करेंगे -शुभकामनाये

  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति…

    • Vishvnand says:

      THE LAST HINDU
      आपका कमेन्ट दिल खुश कर गया. धन्यवाद.

  4. rajdeep says:

    लगता अब ये कलम भी तुझपर,
    कविता लिखने तरस गयी हो ….
    amazing

  5. sakhi says:

    ache ahsaas bhyaan kiye hai apne..
    acha laga padna

    sakhi with smile

    • Vishvnand says:

      sakhi
      Kavitaa par aapkaa comment padhkar bahut achchaa lagaa.
      aapkaa Hardik Shukriyaa, that too with a smile.

  6. Rahul Pathak says:

    Very nice and refreshing poem

  7. medhini says:

    Great poem. Liked it.

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