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इस जहाँ मे हुस्न के, दीवाने है कई…

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Crowned Poem, Hindi Poetry

इस जहाँ मे हुस्न के, दीवाने है कई

हुस्न एक तुम, परवाने है कई

मै भी हू दीवाना तेरे, हुस्न दीदार का

पर क्या करू यारा, तुझे देखने वाले है कई


जैसे जुदा सब चेहरे यहाँ, जुदा है रंग कई

चेहरा एक तुम, अफ़साने है कई

मै भी हू परवाना तेरे, चश्मे बेदार का

पर क्या करू दिलदारा, तुझे चाहने वाले है कई


खुमार जाम का, या लबों से तेरे अनजाने है कई

जाम एक तुम, महखाने है कई

मै भी एक तराना तेरे, चर्चा नामदार का

पर क्या करू यारा, तुझे गुनगुनाने वाले है कई


12 Comments

  1. c k goswami says:

    तुझे चाहनेवाले ,देखनेवाले और प्यार के नगमे गुन्गुनावाले बहुत मिल जायेंगे
    पर चाहत में तेरी,जो मैंने लिखा, वो क्या ऐसी ग़ज़ल लिख पाएंगे
    ——– बहुत बढ़िया .

  2. dr.paliwal says:

    Vah va….!
    Bahut badhiya najm hai vijayji, majaa aa gaya…..

  3. Vishvnand says:

    बहुत बढिया नज़्म है मज़ा आ गया.

    ज़माने में वैसे तो मिले ये हुस्न वाले कई,
    पर हाय ये दिल, तुझे उसी पर मरना था.
    जिसके आसपास हैं उसपर मरनेवाले कई …! 🙂

  4. Raj says:

    बहुत खूब विजय.

  5. swapnil says:

    bahot hi achi kavita hai… superb… i loved it…

  6. bhoomika says:

    ati sundar bahut bahut hi khub………

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