« दशानन | क्या इसी को कहते आज़ादी » |
इश्क के दीवानों मे, अपना भी एक नाम हो…
Hindi Poetry |
इश्क के दीवानों मे, अपना भी एक नाम हो
तुमसे ही सुबहे मेरी, तुमसे हर शाम हो ||
न कभी रूसवा मोहब्बत, न कभी बदनाम हो
तेरे ही दर पर मरू मै, बस यही अंजाम हो ||
तेरे हुस्न के महखाने मे, अपना भी एक जाम हो
तुमसे ही जन्नत मेरी, तुमसे हर काम हो ||
न कभी टूटे ये अरमां, दिल का यही पैगाम हो
तुझसे ही जुड़कर मेरी, अब बातें सरे आम हो ||
मज्नुओ की बरात मे, अपना भी इंतजाम हो
तुमसे ही अफ़साने अपने, तुमसे आराम हो ||
न कभी झूठे हो वादे, न कभी नाकाम हो
तुझसे ही रस्मे-कसमे, तेरा ही मुकाम हो ||
तेरे हुस्न के महखाने में ,अपना भी एक जाम हो
तुमसे ही जन्नत मेरी ,तुमसे ही हर काम हो
न कभी टूटे ये अरमां,दिल का यही पैगाम हो
तुझसे ही जुड़कर मेरी,अब बातें सरे आम हो
बहुत ही उम्दा किस्म की शायरी है.मज़ा आ गया.
@c k goswami, आपका तहे दिल से शुक्रिया …
अच्छी रचना है, मनभायी ,
मगर कविता की title समझ नहीं आई
आपकी रचना से तो नहीं लगता,
आप पर कोई ऐसी नौबत है आयी ….! 🙂
@Vishvnand, सच में ऐसी नौबत नहीं है आयी …पर जानकार ख़ुशी हुई की रचना आपके मन को भायी…
Vijayji Bahut lajawab rachna hai….
Majaa aa gaya padhkar…..
@dr.paliwal, Thanks Paliwal Ji
Dil ke saare jazbaat kaagaz par Utaar diye aapne ….
Kassh ye dil ka dard Aapke kaagzon tak hirahe ….. Kabhi hakikat naa bane
@rakesh, Thanks rakesh ji …
Vijay jee, a good gazal, don’t mind, needs some editing-overall a crispy gzal
@sushil sarna, Thanks Sir Ji
सुन्दर शायरी. सुशील जी से सहमत, थोड़ा सा सुधार इसे और सुन्दर बना सकता है.
@Raj, Thanks Raj Ji, Yes i also realize that it need some edit…I have done some edit work here, hope you will like this poem