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इश्क के दीवानों मे, अपना भी एक नाम हो…

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Hindi Poetry

 

     इश्क के दीवानों मे, अपना भी एक नाम हो

     तुमसे ही सुबहे मेरी, तुमसे हर शाम हो ||

     न कभी रूसवा मोहब्बत, न कभी बदनाम हो

     तेरे ही दर पर मरू मै, बस यही अंजाम हो ||

 

     तेरे हुस्न के महखाने मे, अपना भी एक जाम हो

     तुमसे ही जन्नत मेरी, तुमसे हर काम हो ||

     न कभी टूटे ये अरमां, दिल का यही पैगाम हो

     तुझसे ही जुड़कर मेरी, अब बातें सरे आम हो ||

 

     मज्नुओ की बरात मे, अपना भी इंतजाम हो

     तुमसे ही अफ़साने अपने, तुमसे आराम हो ||

     न कभी झूठे हो वादे, न कभी नाकाम हो 

     तुझसे ही रस्मे-कसमे, तेरा ही मुकाम हो ||

 

 

12 Comments

  1. c k goswami says:

    तेरे हुस्न के महखाने में ,अपना भी एक जाम हो
    तुमसे ही जन्नत मेरी ,तुमसे ही हर काम हो
    न कभी टूटे ये अरमां,दिल का यही पैगाम हो
    तुझसे ही जुड़कर मेरी,अब बातें सरे आम हो
    बहुत ही उम्दा किस्म की शायरी है.मज़ा आ गया.

  2. Vishvnand says:

    अच्छी रचना है, मनभायी ,
    मगर कविता की title समझ नहीं आई
    आपकी रचना से तो नहीं लगता,
    आप पर कोई ऐसी नौबत है आयी ….! 🙂

  3. dr.paliwal says:

    Vijayji Bahut lajawab rachna hai….
    Majaa aa gaya padhkar…..

  4. rakesh says:

    Dil ke saare jazbaat kaagaz par Utaar diye aapne ….
    Kassh ye dil ka dard Aapke kaagzon tak hirahe ….. Kabhi hakikat naa bane

  5. sushil sarna says:

    Vijay jee, a good gazal, don’t mind, needs some editing-overall a crispy gzal

  6. Raj says:

    सुन्दर शायरी. सुशील जी से सहमत, थोड़ा सा सुधार इसे और सुन्दर बना सकता है.

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