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तेरी वफ़ाएं
Crowned Poem, Hindi Poetry |
करुँ विश्वास खुद पर, तुझ पर, या तेरी वफाओं पर,
क्यों आकर लोग सजदा कर रहे, मेरी तेरी चिताओं पर;
कल तक तो मैं जिंदा था और तू थी मेरी बाँहों में,
भले, बदनाम थे हम तुम, ज़माने की निगाहों में,
मैं हर साँस लेता था तेरी साँसों के परदे में,
मेरी हर आह उठती थी तेरी नाजों अदाओं पर,
क्यों आकर लोग सजदा कर रहे, मेरी तेरी चिताओं पर;
क्या सोचा था, यहाँ पर हम भी इक ज़न्नत बसाएँगे,
ज़माने भर की खुशियाँ फिर यहाँ लाकर उगाएँगे,
खुलेंगी जब तेरी पलकें, मेरी बाँहों के साये में,
दिखेंगे बस इक ‘तू’ और ‘राज’, यहाँ सारी लताओं पर,
क्यों आकर लोग सजदा कर रहे, मेरी तेरी चिताओं पर;
बता दो लोगों को, ये लब, यूँ तन्हा रह नहीं सकते,
मर कर भी, हम ये कातिल जुदाई सह नहीं सकते,
मिला दो अब भी इन दो अधजली मगरूर लाशों को,
कहर ढा जायेगा सब पर, मगर हम कह नहीं सकते,
क्यों आकर करते हो सजदा मेरी इसकी चिताओं पर,
करुँ विश्वास खुद पर, तुझ पर, या तेरी वफाओं पर |
‘राज’
आम आदमी के शब्दों का इस कदर इस्तेमाल करते हो की हर आदमी को लगता है जैसे ये शायरी उसके अपनों की है ,यही विशेषता मुझे आपकी सबसे अच्छी लगती है .कितना बढ़िया किखते हो ,पढ़ कर आनंद आता है .
बहुत धन्यवाद चन्द्र कान्त जी. आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत ख़ास होती है.
ये आपकी आज तक की सबसे बेहतरीन रचना है. बहोत ही खूबसूरत, ऐसी की बार बार पढ़नेका मन कर रहा है. अभिनन्दन आपका इस बेहतेरीन कविता के लिए.
बहुत बहुत शुक्रिया.
विश्वास तो कर लूं तुमपर उनपर और उनकी वफाओं पर,
पर विश्वास कुछ कम सा हो रहा है मेरी ही आँखों पर,
इतनी बेहतरीन भावयुक्त सुन्दर आपकी कविता पढ़कर
हाँ, राज, इसमे कुछ अतिशैयोक्ति जरूर है पर कविता पढ़कर मेरी भावनाएं काफी हद तक ऐसी ही थीं. बहुत बढिया, बेहतरीन रचना. बड़ी मनभावन….हार्दिक बधाई
कोटि कोटि धन्यवाद विश्व्नंद जी. इस कविता ने आपकी भावनाओं को छुआ ये ही इसका पारितोषिक है.
mujhe bahut pasand ayi aapki ye kavita
Thanks Rajdeep.