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दिल मत मांगो “मोर”….!
Hindi Poetry, Podcast |
This, a type of Bhakti Geet, posted last year is now posted with its podcast rendering, sung in the traditional tune in which the geet had emerged. This composition got created when the Ad world & TV media was popularizing & emphazing the ” Dil Mange More ” culture exactly opposite to the teaching of our saints in their discourses & writings for “Dil Par Control” character for leading a nice life.
दिल मत मांगो “मोर”….!
दिल तुम्हरी नहीं मानेगे हम, क्यूँ तुम मांगो “मोर”
“मोर” “मोर” ही दुःख का कारन, सुख ले जावे चोर…..!
इतना सारा पास जो अपने, देख तो उसकी ओर,
जो कुछ है, इसमे ही समाया समाधान संतोष….. !
भगवत्प्रेम और भक्तिभाव में होकर मन मदहोश,
सुख है, जो है, उसका करना परिपूर्ण उपभोग,
सुख है, जो है, उसका करना प्यार से सद्उपयोग …..!
ये जीवन है प्रभु की पूजा, ठान ले तू हररोज,
प्रभु का ही हर काम समझ, हर काम में आए जोश….!
चीजों के इस “मोर” का चक्कर लेता सबको मोह,
इस चक्कर में ना पड़ने कर बुद्धि का उपयोग ….!
अंतर्मन सुविचार उभरते, नामस्मरण से रोज,
सतज्ञान सुख की अनुभूति का अनुभव हो रोज…..!
दिल प्यारे अब होश में आओ, और ना मांगो “मोर”
जपो प्रभू का नाम प्यार से, जपना छोडो “मोर”….!
—- ” विश्व नन्द “—-
सच में पहली पंक्ति ही इतनी सुन्दर और असरदार लगी की इसे आगे पढता ही जावूँ
लगता रहा .कितना अच्छा सन्देश है कविता में .
लालसा की कोई सीमा नहीं,इंसान कहीं तो संतोष करे .मजा आ गया.बहुत ही खुबसूरत.
“प्रभु का ही हर काम समझ ,हर काम में आये जोश”
कितनी ज्ञानवर्धक है रचना.इस रचना का स्टार पांच स्टार से भी कहीं ऊपर है.
@c k goswami
आपकी प्रतिक्रया ने विशेष संतोष और खुशी प्रदान की. आपको हार्दिक धन्यवाद.
hmmmm i agree wid CK G sir
its pleasure to read
@rajdeep Thank you very much.
BAHUT SUNDAR RACHNA, MAHATVPURN SANDESH JO JIVAN ME SACHCHE SUKH KI PRAPTI KARNE ME MADATGAR SIDDH HIGA…..
@dr.paliwal
आपको पढ़ और सुन ऐसा प्रतीत हुआ, इसी में मुझे सबकुछ मिल गया बहुत खुशी के साथ. हार्दिक धन्यवाद I
Very good devotional song.
Liked it very much.
@medhini Thank you very much.
विश्व नन्द जी, क्या करें ये दिल है की मानता नहीं और फिर कहता रहता है कि – विश्व्नंद जी, “मोर”, लिखते रहिये “मोर” 🙂
@Raj
ऐसी प्रतिक्रया पा मेरे मन का मोर जाग उठा है. धन्यवाद I.
आपके इस मोर ने किया हमें आत्म विभोर
हर रचना के बाद ये दिल मांगे एक रचना मोर
आदरनीय वी आनंद जी-हर रचना हर रचना से अलग-हर बार न्य फ्लेवर हर बार नई महक- भक्ति रस में डूबी सुंदर रचना- बधाई
@sushil sarna
आपकी इस प्रतिक्रया के भाव ने हमें भक्तिभाव से अंतर्मन तक आनंद विभोर किया है. कैसे और किस तरह शुक्रिया अदा करुँ.