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मेरा “मैं ” होने का गम ….!
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Kindly do read my comment on this write as a preface.
मेरा “मैं ” होने का गम ….!
आज अकेलेपन में जब तुम पास नहीं हो,
मुझे अहसास हो रहा है,
मानो विश्वास सा होने लगा है,
की वो मैं नहीं, मेरे जैसा ही पर कोई और है,
जिससे तुम्हे प्यार है, या प्यार करने का इंतज़ार है,
वरना मैं जैसा भी कुछ था और हूँ,
तुम मुझे प्यार करते,
तुम्हे मेरी कमियों के सिवा
मुझमे कुछ गुण भी दिखते,
मेरी कुछ हरकतों का मतलब
तुम मेरा प्यार समझते,
मेरी कोशिशों को तुम प्यार में तोलते,
मैं जैसा भी हूँ, मुझे दिल से अपनाते,
हरदम मुझे हर तरह सुधारने की इतनी कोशिश
में न लगे रहते,
“ मुझे तुमसे प्यार है ” ग़लती से ही शायाद,
पर कभी कभी तो बेवजह कह जाते,
मेरी छोटी छोटी सफलताओं पर मुझे सराहते,
कुछ तो इतराते,
मेरी गलतिओं और असफलताओं को नज़रअंदाज़ करते ,
उनका बतंगड़ तो न बनाते.
तुझसे कुछ कहूँ तो हर बार की तरह कहोगी
मुझमे ही समझ की कमी है,
वरना तुम्हारे प्यार में कोई कमी नहीं है,
जो कुछ सब तुम करती हो,
मेरे ही भले और अच्छे के लिए करती हो
मै ही ठीक समझ नही पाता तो उसमे तुम्हारा दोष क्या है ….
लो ऐसे ही उम्र गुजर रही है,
कोई या कुछ और बनने की कोशिश में..
वो कोई और सा भी नहीं बन पाता हूँ, और
इस कोशिश में मैं अपना मैं भी नही रह पाता हूँ
और अपनाया भी नहीं जाता हूँ ….!
अजीब सी मुसीबत है,
कैसे कोई समझे और कैसे किसीको समझाऊँ ….!
सोचता हूँ पूरी कोशिश कर कोई और बन भी गया
तो खुद को ही मैं मैं कैसे कहूँगा,
और मैं मैं नही तो खुद से प्यार कैसे करूंगा.
तूने चाहा वैसा न बन पाया, यह गम तो हरदम रहेगा,
तेरे अंतःकरण का प्यार न पा सका ये भी गम ज्यादा सलेगा,
और इन गमो को साथ लिए, आदत से लाचार,
जाने किस खुशी की खोज में,
जीवन में आगे चलते ही रहना होगा,
चलते ही रहना होगा ….!
—- ” विश्व नन्द ” —-
At our time, the main occupation of educated wives immediately after marriage used to get confined to improving their husbands in all ways and to ensure that in the process he gives up all habits which they felt are not good according to them. This important serious assignment of theirs used to be unfortunately called “nagging”.
This write is about the feeling of one such considerate husband and his feelings about this phenomenon.
The compulsive need of most wives to improve their husbands is I think very natural & still prevalent in most new homes of nuclear families too. In most cases wives give up on this assignment a few years after marriage when they realize that improving husbands is not so easy and their attention gets diverted more to looking after & improving their children instead.
Well, I have a feed back which says not only women but some men too indulge in such nagging where wives are very considerate, but I think that is generally an exception.
“मेरे मैं होने का गम
बना रहेगा ,जब तक, नहीं मिलेंगे हम ”
एक अच्छी रचना .
@c k goswami
आपकी प्रतिक्रया के लिए धन्यवाद .
amazing
marvelous
@rajdeep, Dear Rajdeep, KIndly don’t
keep confusing us frequently between “marvelous” and “marvellous” but
please adopt only the latter to make language better. Pardon me, please !
@rajdeep,
Thanks for your comments.
सुन्दर चित्रण इस कशमकश का और एक ऐसी आदत का जो अनजाने में ही सही, पर हिस्सा है हम में से काफी लोगों की ज़िन्दगी का. और साथ ही यह बताने का कि इस सब में हम यह भूल जाते हैं कि प्यार जिसे कहते हैं वो बदलाव नहीं मांगता, प्यार तो कहता है कि – “जैसे हो, वैसे ही”.
@Raj
आपकी प्रतिक्रया के लिए हार्दिक धन्यवाद.
वो तो ऐसा है कि हम तो प्यार करते ही हैं. पर अगर जैसा हम कहते हैं सुधरोगे तो ज्यादा प्यार करेंगे. समझे. 🙂
Crowned poems ki categiry mein is rachnaa Ko annaHi tha …….
लो ऐसे ही उम्र गुजर रही है,
कोई या कुछ और बनने की कोशिश में..
वो कोई और सा भी नहीं बन पाता हूँ, और….
kaaash Hum bus Hm jo hain wahi baknar Zindagi guzaar dein aur koi humein waise hi sweekarle to zindagi khoobsurat ho jaayegi
@rakesh anjaana
आपकी प्रतिक्रया के लिए हार्दिक धन्यवाद.
हाँ, ऐसा होना चाहिए पर होता जो नहीं मगर फिर भी हमें जिन्दगी खूबसूरत बनाने और जीने की कोशिश में तो लगे रहना ही होता है . यही तो जीवन है …