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बढ़ता वंशवृक्ष
Hindi Poetry |
बढ़ता वंशवृक्ष
(राजनीति में जिस प्रकार वंशवाद बढ़ रहा है वो देश के लिए खतरनाक है
कोई भी पार्टी का नेता इस वंशवाद से नहीं बचा .आम कार्यकर्ता का नेता
बनना एक सपना मात्र रहगया है)
वंशवाद होता बड़ा, बाकी सब है नीचे
रजवाड़े नए आ गए वंशवृक्ष जो सींचे
वंशवृक्ष को सींचे,गाँधी अब्दुल्ला और राजे
विजय वसुंधर माधव ज्योतिर कुर्सी साजे
राजनीति में नेता अपना वंश बढाये
नेहरु इन्द्रा क्रम में राजीव राहुल आये
संजय मेनका वरुण वंश कहाँ पीछे रहता
खून सियासत ओमर शेख फारूख में बहता
स्तालिन अजगिर करुनानिध तमिलनाडु राज
देवीलाल के बाद ढूंढते ओम अजय फिर ताज
हरियाणा में राज ,क्यूँ रहे हुड्डा पीछे
देखभाल रणवीर करे ये राज बगीचे
भजनलाल कब तक करे ,सूखे भजन गोपाला के
तैयार किया कुलदीप रोक ले, बढ़ते कदम चोटाला के
देख के बढती कांग्रेस , बादल को हो गयी फिक्र
सुखबीर बनेगा अगला सी एम्,कर दूँ सबसे जिक्र
कर दूँ सबसे जिक्र ,ना भूला यादव लालू
बनी राबडी सी एम् घर से आदत डालूं
सचिन जतिन्प्रसाद देवड़ा – पिता हुवे जब नेता थे
मंत्री बनना तय इनका था क्योंकि बाप चहेता थे
पवार ,संगमा,अजीत ठाकरे कदम समाना
रेड्डी मुलायम पुत्र उठेंगे ये सब जग जाना
राजा थे बदनाम बेचारे वंशवाद परिपाटी से
एक बार बन गया जो नेता,दूर हो गया माटी से
अब तो सबका लक्ष्य एक परिवार को लायें
मरने तक खुद राज,बाद औलाद ही आये
——सी के गोस्वामी(चन्द्र कान्त)जयपुर
अत्यंत प्रभावशाली प्रस्तुति है पूर्ण रूप से ५ सितारे ये चुनती है !
अत्यंत प्रभावशाली प्रस्तुति है, पूर्ण रूप से ५-सितारे ये चुनती है !
बहुत सुन्दर आलोचनात्मक और अर्थपूर्ण व्यंग से परिपूर्ण .
प्रभावशाली रचना. इस रचना के लिए हार्दिक बधाई.
ये सब चल रहा है, क्यूंकि लगता है अब Hero worship, चमचेगिरी, अज्ञान , और लोभ शायद बहुतांश अपनो के DNA का एक अंश हो गया है और इससे छुटकारा पाने का मार्ग बहुत कठिन है.
@Vishvnand, aajkal ye naye rajgharane paida ho gaye hain aur agar ham matdatao ne is par samay rahte ankush nahi lagaya to ye desh ke liye ghatak siddh honge.
aapki tippani ka dhanyawad.
A very thoughful and difficult write up. Really deserves to be in the bests.