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अच्छा सिला दिया उसने इजहारे मुहब्बत का…….
Hindi Poetry |
अच्छा सिला दिया उसने इजहारे मुहब्बत का,
मै “शायर” कम “शराबी” “मिर्ज़ा” ज्यादा नजर आता हूँ,
कहकर मुझे ठुकरा दिया….
छलकाए जाते है वह भी तो पैमाने सरेआम,
महफिले उनकी कैसे दुरुस्त नजर आने लगी?
डोली जा रही है उस बेमुरव्वत की उन्ही के घर,
रातें जिनकी मैखानों में गुजर जाती है………
डॉक्टर साहब. बहुत खूब,
रचना ये हसीन दवा सी नजर आती है,
हुस्न, शराब नशा और शायरी
मुहब्बत में ऐसे ही गुल खिलाती है …!
बधाई …
@Vishvnand,
Bahut Bahut Dhanyvad Sirji…..
मै “शायर” कम “शराबी” “मिर्ज़ा” ज्यादा नजर आता हूँ,
broke into laughter reading this line
-:)
@Parespeare,
धन्यवाद….!
जीहाँ, परन्तु इस एक लाइन के बिना रचना आगे नहीं बढती….
सही है, योगेश जी. अच्छा प्रयास है.
@Raj,
SHUKRIYA RAJ JI……
Bahut sunder, Dr. Yogesh.
@medhini,
THANK U vERY MUCH MEDHINIJI…….
मजा आ गया, डॉ जी ऐसी रचना पढ़ कर
@sushil sarna,
Dhanyvad sirji……
वाह-वाह…
बहुत khub …… तो जनाब आप 49 दिनों से…
“शायर” कम “शराबी” “मिर्ज़ा” ……………
लगा मैं kavi sangothi में हूँ…..बधाई..
@Ravi Rajbhar,
Bahut Bahut Shukriya Dear…………
Bahut khoob!
@sangeeta,
Shukriya Ji….