मेरी वापसी
आज मैं एक गुमशुदा की तलाश में हुं,
हां मैं अपनी ही तलाश में हुं.
कहां गयी वो चंचल,अल्हड़,मुस्काती कवित्री ?
कहां गयी वो कविताओं से बातें करती राजश्री ?
खोज रही हुं फिर से जिंदगी के उलझे सवालों को,
खोज रही हुं फिर उन्हीं बहते ज्जबातों को,
पूरा करने की चाह् लिए उन अधुरे अरमानों को.
दुनिया है जो बसाई मैंने एक नई,
करना है शामिल सारी कविताओं को वहीं.
गुमसुम, गुमनाम सी राहों से मन चाहे बाहर आना,
कवियों संग फिर से कविता की महफिलें सजाना.
हां मैं भी चाहती हुं अपनी एक नई पहचान बनाना,
मैं भी चाहती हुं दुनिया में नाम कमाना,
लो आ गयी संग लेकर फिर से कविता का खजाना.
राजश्री राजभर……..
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बहुत खूब बहुत बढ़िया कहा है आपने……बधाई
बहुत भाया है हमें आपका ऐसा अंदाज़ और यूं फिर आना,
प्रभु आपको दे सुन्दर जीवन और ख्यालों का खजाना,
और आप फिर यूं ही रचते रहें सुन्दर कवितायें, बने समा सुहाना… .
Thanks alot sir.thank u very much.
achchhi rachna hai….
thank u so much sir for ur best comment.
अपने अधूरे ख़्वाबों को पूरा करने की सुंदर अभिव्यक्ति – सच्चे दिल से किये गये प्रयास कभी धूमिल नहीं होते- रचना के लिए हार्दिक बधाई
bahut bahut dhanyavad sir .
सुन्दर रचना. गुमशुदा की पहचान उसके कर्मों से हो ही जाती है. जैसे एक महकता पुष्प कभी गुमशुदा नहीं हो सकता. आपकी कविताओं की गहराई और श्रेणी आपको खुद-ब-खुद मन चाहे मुकाम पर ले जा सकती है. जरूरत है, बस अभ्यास और विश्वास की. शुभकामनाओं के साथ, बहुत बधाई.
Thank u so much sir. I will try my best.
nice poem
-:)
Thanks alot sir.
Beautiful poem, well-written and beautifully expressed.
thank u so much mam .
welcome back ! 🙂
thank u so much renuji.
welcome back
nice poem 222222
Rajdeepji thanks alot again.
Nice to see you again dear,nice poem,missing u lot.
Thanks alot my dear husband for encouraging me.
बहुत बहुत बधाई sundar कविता के लिए. आपके पास kavitaaon का anmol khajana है. ऐसे ही लिखते rahiye.