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कहा पेड़ ने मानव से
Hindi Poetry |
कहा पेड़ ने मानव से
कि हे मानव
तेरे पैदा होने पर
तुझको लकड़ी के पालने पर लिटाया गया
बचपन आते ही तुझको
लकड़ी की एक तिकड़ी देकर
तुझको चलना सिखाया गया
और तेरे पढ़ने-लिखने व ऐशो-आराम के लिए
लकड़ी की कुर्सी-मेज़ व अन्य फर्नीचर बनवाया गया
हुई जब तेरी शादी तो
तेरी सुहाग-रात के लिए
लकड़ी का डबल-बेड ही सजाया गया
बुढ़ापा आने पर तेरे हाथों में
लकड़ी की एक छड़ी देकर
तुझे सहारा दिलाया गया
और तेरी मृत्यु पर तो हद ही हो गयी
तेरे निर्जीव शरीर को जलाने के लिए
मेरे सजीव शरीर को काट कर
उसे तेरे साथ जलाया गया
इसीलिए तो कहता हूँ कि
तुझे जला कर चल दिए
तेरे सब भाई-बन्ध
तेरे साथ मैं जल गया
ये तेरा-मेरा सम्बन्ध
बहुत सुन्दर कल्पना और उसमे उभरी रचना,
मनभावन लगा पढ़ना.
हार्दिक बधाई की भावना……
@Vishvnand, इतनी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत धन्यवाद
बहुत खूब कहा सहाय जी.
@Raj, टिप्पड़ी के लिए बहुत धन्यवाद, राज जी
देख तमाशा लकड़ी का वाली क़व्वाली याद आ गयी सर
@siddhanathsingh, टिप्पड़ी के लिए बहुत धन्यवाद, सिद्धनाथ
bahut achchi hai.
@Aashish ameya, टिप्पड़ी के लिए बहुत धन्यवाद, आशीष जी
Achchhi Prastuti.
Vriksha vastava mein Jeevan bhar detey rahtey hain. Hamein hamesha unka kritagya rahna chahiye.
Anil
@Shailesh Mohan Sahai, सुंदर टिप्पड़ी के लिए बहुत धन्यवाद, अनिल