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जाम आँखों से या प्यालों से पिया ….!
Hindi Poetry |
जाम आँखों से या प्यालों से पिया ….!
पीने की थी प्यालों से आदत मुझे,
हाय क्यूँ उनकी आँखों से मैं पी गया,
अब तो बेचैन हूँ प्यास बुझती नहीं,
इन प्यालों में भी कुछ मज़ा ना रहा….!
जाम के प्यालों से ही मेरा प्यार था
वो हमें क्या मिले, प्याला दिल से गया
अब तरसता हूँ मैं खुद मेरे हाल पर
पास वो भी नहीं ना वो प्याला मेरा ….!
जाम आँखों से या प्यालों से पिया,
जिसने इसको पिया वो बहकता गया,
जाम की चाह है ये गजब सी बला,
आजतक इसने किसका किया क्या भला ….?
सोचता मैंने जीवन में क्या है किया,
दोस्त आगे गए पीछे मैं रह गया,
जाम के इस नशे ने जो दिल से कहा,
बस वो ही नज्मों, ग़ज़लों, में लिखता रहा
और वो ही नज्में गज़लें मैं गाता गया ….!
जाम आँखों से, दिल में यूं पीता गया….!
यही जो किया है वो क्या कम किया …?
—- ” विश्व नन्द ” —-
मनभावन रचना-जैसे भी बुझे प्यास शीशे से या आँखों के पैमाने से, प्यास जरूर बुझाईये और जाम में डूबी रचनाओं का सिलसिला जारी रखिये-इसी पर मेरी नई पोस्ट कृपया देखें – नशे में डूबी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई
@sushil sarna
इस रचना पर आपकी प्रतिक्रया के लिए हार्दिक धन्यवाद.
very nice…….
@Ravi Rajbhar , Thank you very much.
Bahut khoob sirji….
@dr.paliwal हार्दिक धन्यवाद .
मय पिए बिना सरुर आँखों से चढ़ गया
इस उम्र में भी आशिकी का मर्ज़ बढ़ गया
पढके नशा इन पंक्तियों का , कुछ हमपे आ गया
देखने की वो अदा थी ही कुछ ऐसी,
बिन पिए उसका नशा हमपे छा गया.
@chandrakant
वही तो लेता है जिन्दगी का असली मजा,
जिसे बिन मय पिए ही, होता है जीवन का नशा.
प्रतिक्रया के लिए धन्यवाद.