“प्यारा रिश्ता”
जिंदगी के लिए जरुरी हैं जिस तरह सांसें
रखते हैं एहमयत उसी तरह कुछ रिश्ते.
जुडते हैं जितनी कठिनाईयों से नाते,
उतनी ही आसानी से हैं ये टुट जाते,
कितने नाजुक हैं रिश्तों के धागे.
पर है एक रिश्ता बडा प्यारा सा,
न जाने कैसे बिन कहे हमसे जुडा.
हरपल जुडे पहले से ज्यादा,
हर कदम पर दे एक नया वादा.
हर लम्हा गुनगुनाए एक नया किस्सा,
जब जुडा एक अजनबी संग एक प्यारा रिश्ता,
वो बेगाना बन गया न जाने कब अपना.
जुडने चले थे कहीं और बंद आँखो से,
न जाने कब, कैसे जुड गये हम उनसे,
था आसमानी रिश्ता या फिर इसे इत्तेफाक कहें.
विश्वास और प्यार हम धागों में पिरोते गये,
मजबुती नाजुक से रिश्ते में लाते गये.
जुड गये हम उनसे ज्न्मज्न्मांतर के लिये,
कुछ सपने कुछ आशा के दीप लिए.
है यह् रिश्ता एक पति और पत्नि का,
अविश्वास और शंका हैं रिश्ते की गाँठें,
कहीं किसी मोड पर जो उलझनें बढें,
उलझकर कहीं उन गाँठों को पनपने न देना.
वरना इस रिश्ते में दर्द के सिवा कुछ न बचेगा,
जिंदगी का ऐसा जख्म है ये जहां मरहम भी न मिलेगा,
नौबत न आए कभी ऐसी कि ये दिन देखना पडेगा.
बचाए रखना इज्जत और लाज इस पवित्र रिश्ते की,
केवल जिस्म,जान ही नहीं इसमें है हमारी आत्मा भी बसती…….
राजश्री राजभर…
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प्यार और रिश्ते पर सुन्दर कथन,
आशाएं और कल्पनाओं का मिलन, मनभावन .
बधाई .
हिंदी शब्दों में कुछ त्रुटियाँ हैं, कृपया सुधार लें .
Thank u so much sir apki taarif ke liye mai apni galtiyan sudharne ki koshish karungi.
Thanks,Bahot hi sundar likha hai.
thank u my dear husband for ur beutiful comments
Very nice…… 🙂
Thanx Raviji
अच्छा उदगार ! इसे पढ़ कर इस मौजू पर मैं भी कह उट्ठा –
झुटपुटे ज़िन्दगी में न गहराएंगे
आप हरदम मुझे साथ ही पाएंगे
मेरे रिश्तों में होंगी नहीं दूरियां
फासले दूर हमसे नज़र आयेंगे
wah kya khub kaha hai apne sir apki line wakai kamal ki hai
very nice.
Thank u vijaiji
kya baat hai
thank u Rajdeepji