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आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै…
Hindi Poetry |
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै
कह जाऊं वों बातें तुझसे, जो न कह पाऊं
मोहब्बते गुलिस्ताँ से, एक फूल मैंने चुना
फूल से कांटो का चुभना, देख अब घबराऊं मै
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै
रहमते खुदा सा, तेरी हंसी पर गुमाँ था कभी
अब उसी हंसी का ढंग, देख मर जाऊं मै
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै
खुश्बुए मीठी थी कुछ पल, फिर जो बदली फिजां है
आज तलक बैठा हू काश, पल वही पा जाऊं मै
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै
सोचता हू अब कही, न हो कोई शिकवा गिला
या हर गिला को याद कर, तुझे भूल जाऊं मै
आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै
कह जाऊं वों बातें तुझसे, जो न कह पाऊं
बहुत खूब, विजय
बहुत खूब .
रचना बहुत मनभावन लगी .
“आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै,”
दूर रहता हूँ तो कितना कुछ कहता हूँ,
और पास आऊँ तो कुछ भी न कह पाऊं मैं ….
Bahut sunder rachna vijay ji… 🙂
hi vijay,nice 2 have ur poem after a long time..and i pretty like dis poem as usual…stay connected 🙂
Vah ! kya bat hai…..
Bahut hi sundar rachna….
Maja aa gaya padhkar….