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एक बार वापस लौटने का मन करता है

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कुछ बुरी बातें जो अब अच्छी लगती हैं
कुछ बातें जो कल की ही बातें लगती हैं.
तब की अच्छी तस्वीरें  अब बुरी लगती है

बस,
अबकी बार क्लास attend करने का मन करता है
बस एक बार वापस लौटने का मन करता है

दोस्तों के रूम की वो बातें याद आती है
एक्साम के टाइम पे वो हसी मजाक याद आती है,
कॉलेज के पास जग्गी के ढाबे की याद आती है

बस
आज हर वो दिन जीने को मन करता है.
बस एक बार वापस लौटने का मन करता है

वो हर purpose की हूवी लड़की याद आती है
फिर उन लडकियों की कही बात उनकी याद दिलाती है.
और फिर नयी लड़की को देख वो तू तू मै मै याद आती है

बस
एक ऐसी सुबह उठने का मन करता है
जो अपने बचपन की याद दिलाता है
बस एक बार वापस लौटने का मन करता है.
बस एक बार और
वापस लौटने का मन करता है

8 Comments

  1. Neha says:

    आपने तो हमे भी वो दिन याद करा दिए .. बहुत बढ़िया

  2. dr.paliwal says:

    बहुत खूब…….

  3. Vishvnand says:

    बहुत अच्छी मनभावन रचना. बधाई ,
    हाँ पर बस एक बार नहीं, कई बार और लौट लौट के वापस लौटने का मन करता है …..

  4. parminder says:

    आपकी कविता पढ़कर जगजीत सिंह जी की गयी ग़ज़ल याद आ गयी ” वो कागज़ की कश्ती” |
    सही है, वो पुराने दिनों जैसे कोई दिन हो ही नहीं सकते, काश, घड़ी के कांटे उल्टा घुमा पाते !

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