ऐसी कैसी कहानी, ये लिख डाली मैंने…………….
ऐसी कैसी कहानी, ये लिख डाली मैंने ,
दिल प्यार वार करने से,रोकता है मुझको,
दुरसे देखने की, है भले इजाजत,
इकरार करने से,रोकता है मुझको,
जी भरके देखूं उसे, इस नादाँ की भी है तमन्ना,
उठने लगते है कदम, फिर टोकता हैं मुझको,
जानता हूँ मेरे लिए, बुरा नहीं सोचता,पर क्यों,
तनहाई की गहरी खाई में, झोकता है मुझको,
तजुर्बा है इसेभी शायद, किसीकी बेवफाई का,
मौका नहीं दिया था किसीने, इसे अपनी सफाई का,
इसीलिए यह शायद, उससे मिलने से डरता है,
पर सच मानो, मेरा दिल, दिल ही दिल में, उसपे मरता है………2
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वाह वाह, मान गए,
बहुत बढ़िया, दिल की बेचैनी और कशिश को समझने और जताने का अंदाज़
बड़ी मनभावन रचना ..
हार्दिक बधाई …
“जी भरके देखूं उसे, इस नादाँ की भी है तमन्ना,
उठने लगते है कदम, फिर टोकता हैं मुझको,
जानता हूँ मेरे लिए, बुरा नहीं सोचता,पर क्यों,
तनहाई की गहरी खाई में, झोकता है मुझको” ..वाह क्या बात है
मेरे एक गीत की याद आ गयी.
“दिल तरसता है तुझे मिलने सनम
दिन रात ये
फिर भी कहता है न मैं तुझसे मिलूँ “.
@Vishvnand,
Bahut bahut dhanyvad sirji…..
achcha khayal nd beautiful way 2 express 🙂
@prachi,
Thank U Very Much………..
वाह, बहुत खूबी से दिल की कशमकश का बयां किया है योगेश जी. बहुत सुन्दर.
@Raj,
Thank U Very Much….
aaj ki poem rupi kahani ko sun kar to man gardan gardan ho gaya
@Sanjay singh negi,
Bahut Shukriya….
वाह-वाह ….कोई जबाब नहीं आपका …हर पंक्ति काबिले तारीफ 🙂