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क्या बात है ?

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ये ख्याल एक दिन ऑफिस में बैठे बैठे मेरे दिमाग में आया
उस दिन मै ऑफिस में बड़ा परेशान सा था क़ि रोज रोज वही काम
इस लिए लिख डाली कुछ पंक्तिया ……………………

ये Document, ये Meetings,
ये Features Ki दुनिया,
ये इन्सान के दुश्मन, Cursors की दुनिया
ये Deadlines के भूखे,
Management Ki दुनिया;
ये Product अगर बन भी जाए तो क्या  है ?

यहाँ एक खिलौना है Programmer की हस्ती
यह बस्ती है मुर्दा Bug-Fixers की बस्ती
यहाँ पर तो Raises है, Inflation Se सस्ती
यह Review अगर हो भी जाए तो क्या  है?

हर एक Keyboard घायल , हर एक Login प्यासी
Excel में उलझन , Winword में उदासी
यह Office है या आलम-ये-Microsoft की
यह Release अगर हो भी जाए तो क्या  है?

जला दो इसे , फूँक डालो यह Monitor
मेरे सामने से हटा डालो यह Modem
तुम्हारा है तुम्ही संभालो यह Computer
यह Product अगर चले भी जाए तो क्या  है?
नयी जगह अच्छा काम मिल भी जाये तो क्या  है?

5 Comments

  1. Vishvnand says:

    बहुत बढ़िया अंदाज और एक उच्च कोटि की सी अर्थपूर्ण हास्य रचना
    संजय जी, इस रचना और उसकी कल्पना की क्या बात है,
    बहुत सराहनीय है ये रचना और हँसी हँसी में कही गयी बड़ी बात है,
    हार्दिक बधाई और इसे share करने के लिए आपको हमारा धन्यवाद है.

    एक छोटा सा सुझाव; “तो क्या बात है ” की जगह सिर्फ ” तो क्या है ” ज्यादा उचित होगा और फिर यह पूरी रचना गुरुदत्त के प्यासा फिल्म के “ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ” की तर्ज़ और धुन में मजे से गायी जा सकती है

  2. vmjain says:

    विश्वनान्दजी से सहमत हूँ. उच्च कोटि की हास्य रचना है. बधाई स्वीकार हो.

  3. dr.paliwal says:

    अच्छी हास्य रचना है,
    गुरुदत्त जी के गीत की याद दिला गई परन्तु वह sad song था…….
    आपने अच्छा व्यंग रचा है……

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