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क्या है रिश्ता हमारा तुम्हारा?
Hindi Poetry |
मैंने पुछा कविता से की
क्या है रिश्ता हमारा तुम्हारा?
तुम जादुलोक की जादूगरनी हो,
जो छीन लेते हो नीदों का चैन हमारा
या फिर कोई ख्वाबो की परी हो,
जो ख्वाबो का सफ़र पूरा करते हमारा
फिर तुम कोई वन की मोरनी हो,
जो मजबूर करते लिखने को गीत माला
या कोई चंद्रलोक की चांदनी हो,
जो कहती शब्दों की बहाने को धारा
या फिर कोई भावनाओं की चोरनी हो,
जो चोरी करती सुख चैन हमारा
या कोई कला की भिखारन हो,
जो भीख में मांगती हो दुःख दर्द हमारा
तबी अचानक कविता बोली
की तुम तो हो एक साधारण कवि
बस पैन और काग़ज का रिश्ता है हमारा तुम्हारा
तभी झट से कवि मन बोला
हे पगली!
तू इतनी सी बात ना समझि
तू लैला तो मै मजनू तुम्हारा
तू वीरू तो जय मै तुम्हारा
तू कृष्णा तो मै सूरदास तुम्हारा
और एक खास बात मै तुमको बतलाऊ
जनम मरण का रिश्ता है हमारा तुम्हारा
जनम मरण का रिश्ता है हमारा तुम्हारा
Kya baat hai….
Bahut khoob….
@dr.paliwal,
thnkyu sir ji
अलग तरह की सुन्दर कविता.
रचना के लिए हार्दिक बधाई
“कविता बोली
तुम तो हो एक साधारण कवि
बस पैन और काग़ज का रिश्ता है हमारा तुम्हारा.
कवि मन बोला
तू कृष्णा तो मै सूरदास तुम्हारा
जनम मरण का रिश्ता है हमारा तुम्हारा”… बहुत खूब
कविता पगली नहीं, बहुत होशियार है
कविमन पगला है और हरदम रहेगा…
कविता कविमन के पगलेपन से प्यार करती है
कभी पास आती तो कभी दूर भाग जाती है
@Vishvnand,
ha vishvnand sir ji aap ek dam uchit bol rahe hai
humara kavi man hi chanchal hai