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दिखने मे कोई हूर नहीं तुम …
Hindi Poetry |
दिखने मे कोई हूर नहीं तुम ,
फिर भी मेरा नूर हो तुम
कहने को तो सब अपने है ,
पर मेरा हर दस्तूर हो तुम
अफवाहों कि लौ हरदम ,
कुछ यू ही जलती रहती है
बातें तो बातें है यारो ,
बस यू ही चलती रहती है
कोई कुछ भी कहे मगर ,
मुझको तो मंजूर हो तुम
दिखने मे कोई हूर नहीं तुम ,
फिर भी मेरा नूर हो तुम…
कल क्या तुम थी, क्या था मै
क्यों सोचू अब
बीते वक्त के गलियारों को
क्यों खोजू अब
जो बीत गया वो बात गयी
अब मुझमे मेरा मगरूर हो तुम
क्यों सोचू अब
बीते वक्त के गलियारों को
क्यों खोजू अब
जो बीत गया वो बात गयी
अब मुझमे मेरा मगरूर हो तुम
दिखने मे कोई हूर नहीं तुम ,
फिर भी मेरा नूर हो तुम…
nice attempt wid honest feelings…keep sharing 🙂
Bahut sunder…vijay jee har line majbut 🙂
सही कहा है, दिखने में कोई कैसा भी हो, खूबसूरती तो दिल से दिखती है ना| And beauty lies in the eyes of the beholder . Well said.
वाह बहुत खूब और खूबसूरत कहने का अंदाज.
बधाई ..
Well written.
Bohot khuub Vijay………………..2010 ke baad koi nai kavita nahi post ki…………………..