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दिखने मे कोई हूर नहीं तुम …

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Hindi Poetry
   
     दिखने मे कोई हूर नहीं तुम ,
     फिर भी मेरा नूर हो तुम
     कहने को तो सब अपने है ,
     पर मेरा हर दस्तूर हो तुम
 
     अफवाहों कि लौ हरदम ,
     कुछ यू ही जलती रहती है 
     बातें तो बातें है यारो ,
     बस यू ही चलती रहती है
     कोई कुछ भी कहे मगर ,
     मुझको तो मंजूर हो तुम
     दिखने मे कोई हूर नहीं तुम ,
     फिर भी मेरा नूर हो तुम…
   
     कल क्या तुम थी, क्या था मै
     क्यों सोचू अब
     बीते वक्त के गलियारों को
     क्यों खोजू अब
     जो बीत गया वो बात गयी
     अब मुझमे मेरा मगरूर हो तुम 
     दिखने मे कोई हूर नहीं तुम ,
     फिर भी मेरा नूर हो तुम…
 
 
 

6 Comments

  1. prachi says:

    nice attempt wid honest feelings…keep sharing 🙂

  2. Ravi Rajbhar says:

    Bahut sunder…vijay jee har line majbut 🙂

  3. parminder says:

    सही कहा है, दिखने में कोई कैसा भी हो, खूबसूरती तो दिल से दिखती है ना| And beauty lies in the eyes of the beholder . Well said.

  4. Vishvnand says:

    वाह बहुत खूब और खूबसूरत कहने का अंदाज.
    बधाई ..

  5. Raj says:

    Well written.

  6. Suresh Patel says:

    Bohot khuub Vijay………………..2010 ke baad koi nai kavita nahi post ki…………………..

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