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मेरा मन और सपने

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Hindi Poetry
सपनों के पंख लगा कर,
प्यार की दुनिया में
उड़ रहा था
मेरा मन,
 
बेखबर होके अपने आसपास की दुनिया से,
खोया था ये
उन सपनों में,
 
अचानक एक दिन,
हलचल हुई,
और
सामना हुआ हकीकत से
तो पाया,
कुछ ही पलों ने कर दिया था
फैसला
मेरे सपनों का,
 
उजड़ गए सपने
और
दिल की दुनिया भी,
जैसे पतझड़ में गिर गए हो पत्ते,
 
अश्कों से भरी थी मेरी आँखे,
लेकिन,
उन आंसुओं में भी थी एक ख़ुशी,
 
बिना किसी नए सपने की जरुरत के,
कुछ अमिट यादों को
अपनी गोद में बिठाये,
खुश था  मेरा मन,
 
थी  जो इसमें,
प्यार की
कभी ना मद्धिम पड़ने वाली रोशनी,
और
इस तरह
खो कर भी अपने प्यार को पा गया था,
मेरा मन,
हमेशा हमेशा के लिए….
 
 
 
 
 
 
 
 
 

4 Comments

  1. dr.paliwal says:

    बिना किसी नए सपने की जरुरत के,
    कुछ अमिट यादों को
    अपनी गोद में बिठाये,
    खुश था मेरा मन,

    Bahut sundar bhav……
    Rachna Bahut achchhi hai…

  2. Vishvnand says:

    बिना किसी नए सपने की जरुरत के,
    कुछ अमिट यादों को
    अपनी गोद में बिठाये,
    खुश था मेरा मन,
    इस तरह
    खो कर भी अपने प्यार को पा गया था,
    मेरा मन,
    हमेशा हमेशा के लिए….
    क्या बात है, क्या कहने का अंदाज़ है,
    बहुत लुभावना और खूबसूरत ….
    और इस पूरी सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई …

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