« दिल दिया है, जाँ भी देंगे… | आज पास आऊँ तेरे, या दूर चला जाऊं मै… » |
लहरे याद.
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दिया एक याद है
रोशनी की लहर में
तुम्हे देखे बिना
चुकेगा नहीं मन
निशीथ की हवा में भी
तुम्हारी यादों की रोशनी
फैलती जायेगी
उसी रोशनी की रेखा को
तुम्हारी यादों को
मन अपने पुष्टों में
प्राण प्रमाण छुपा लेगा
फिर भी दोस्त
तुम तरुण प्रभात हो ना
तुम्हारी किरने नित्य
मेरे मनोविस्व में
उभरती ही रहेंगी ..!
Vah….! Sundar rachna hai….
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बहुत सुन्दर कल्पना और हिंदी में रचना लिखने का प्रशंसनीय और कौतुकास्पद प्रयास.
कुछ शब्दों में त्रुटियाँ होते हुए भी रचना बहुत मनभायी .
हार्दिक बधाई … आपसे और रचनाओं की उम्मीद.