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शादी शुदा ..!
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इस लडकी की शादी हुई है
मैके की रव्वाबो की तरह
अपनों के मुरादों की तरह
ससुराल के आमदनी के फसल की तरह
व्याहिथ मर्द को मिली नयी गुलाम की तरह
शादी शुदा लड़की
इतना पडी-लिखी फिर भी
नोव्कराणी की चादर ओडी है
चूंके चादर ओढी है
कफन वुडाने की कोशिश न करना ..!
PERUGU.SUJANARAM
कविता छोटी और प्रभावी सी जंची
भाव बहुत अर्थपूर्ण हैं
आखरी लाइन समझ ने नहीं आ रही. उसे सुधारने की जरूरत है
कयोंकि नौकरानी की चादर ओडी है/ कफ़न उदाने की कौशिश न करना. A deep thought which carries enormous & multi dimensional meaning and a powerful presence of sattire is there. I liked this concise but heart touching poem.
सुशिल ‘हसरत’ नरेलवी
चंडीगढ़