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अजन्मे बच्चे की पुकार!
Hindi Poetry |
A plea for the right to life from an unborn girl child to her mother!
मेरी माँ ,
आज मैंने पहली बार सांस ली है
धडकनों का सुर बड़ा मीठा है
यूँ लगता है, संगीत की शुरुआत यही है!
मेरी अँधेरी दुनिया में
जो डोर मुझे तुमसे बांधे हुए है
उसकी किरण ही
मेरे जीवन का उजाला है!
लग रहा है
कुर्सी में बैठी तुम कुछ सोच रही हो
शायद, तुम सपने बुन रही हो
मेरे आने के!
पर माँ, मैं एक लड़की हू
क्या यह मेरी गलती है
कल पिताजी की बात सुन
मैं थोडा घबराई थी!
क्यूँ पिताजी को मुझ पर यकीन नहीं
क्यूँ मेरे सपने रंगीन नहीं?
मैं कर सकती हू
दुनिया से लड़ भी सकती हू!
क्यूँ आकें मुझे समझ के बेचारी
इसलिए की मैं हू एक नारी
जिसको समझे आप सब बड़ी ज़िम्मेदारी
जो करे माँ-बाप के कंधे भारी
इसी सोच ने कितनी कलिया कुचली होंगी
अनगिनत माओ की गोद उजड़ी होगी
माँ, मेरी एक ही विनती है तुमसे
मिटने ना देना मेरे जीवन की आस
अवसर प्रगति का मिले जो मुझे पूरा
तब क्यूँ ना करुँगी सर ऊचा मैं तेरा?
सोचना मेरी बात
क्या नहीं है मुझे जीने का अधिकार?
बहुत सुन्दर मनभावन ह्रदयस्पर्शी रचना,
प्रशंसनीय और अर्थपूर्ण,
रचना के लिए हार्दिक बधाई
@Vishvnand,
Thank you vishwa nand jee for your beautiful comment…
Rachna ji apne bahut achchha likha hai.
@vikas,
Thank you very much Vikas for appreciating my lines…
bahut sundar bhavpurn marmsparshi kavita,badhai.
beautiful poem.achhi,marmsparshi.
@vpshukla,
dhnyavaad!
सच्चाई से जूझती, वास्तविकता को प्रकट करतीं पंक्तियाँ| समय बदल रहा है पर अपने देश के कई प्रान्तों में अभी भी पुत्री अभिशाप ही है, अफ़सोस |
thanks for your positive comment. I was reading report on female foeticide and that inspired me to write something on this topic…indeed, it is a serious concern and we should do something to stop this…!
रचना की रचना अच्छी लगी
बेटी की बातों में दम है
@malika sahai,
बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरी पंक्तिया पसंद करने के लिए…