« विजेता एक ही होता है! | २३ मार्च रिमाईंडर » |
कल की सुहानी रात
Hindi Poetry |
आज सुनाये किस्सा तुमको
कल की सुहानी रात का
जब साथ में हमारे वो थे
तो फिर मलाल था किस बात का
उनके कोमल मुख मंडल पर
आलिंगन हुवा जब हाथ का
भ्रकुटी से लेकर अंग अंग तक
कॉप उठा उनके घात का
आज सुनाये किस्सा तुमको
कल की सुहानी रात का
मधु से भरे अधरों पर
अहसास हुवा जब चुम्बन का
तन से लेकर मन तक
खिल उठा रोम – रोम उस गुलाब का
आज सुनाये किस्सा तुमको
कल की सुहानी रात का
तर्जनी नाची जब नाभि छिद्र पर
अहसास हुवा कुछ गर्म सांस का
नैनों से जब नयन मिले तो
मोती सा अश्क उनमे छुपा था
आज सुनाये किस्सा तुमको
कल की सुहानी रात का
दिल की धड़कने तेज थी
और तन में ना जाने कैसा दर्द था
अपना तो कवि मन ठहरा
लिख डाला किस्सा हाल-इ-दिल का
आज सुनाये किस्सा तुमको
कल की सुहानी रात का
जबरदस्त रोमांस से भरी है कविता. जज्बा बनाये रखिये.
मनभावन और Lovely,
पर भई ये किस्सा कहाँ, ये तो एक वाकिया था .
आपने “आज सुनाया वाकिया
कल की सुहानी रात का”
बधाई
@Vishvnand,
ys sir ji
vakiya hi hai
pr ye to khali kavi rachna hai
agr ye real me hota to vakiya hota na
to abhi to ye humare liye kissa hi hai
jis din vakiya hoga us din yaha pr vakiya kar denge 🙂