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कल की सुहानी रात

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Hindi Poetry

आज सुनाये किस्सा तुमको
कल की सुहानी रात का
जब साथ में हमारे वो थे
तो फिर मलाल था किस बात का

उनके कोमल मुख मंडल पर
आलिंगन हुवा जब हाथ का
भ्रकुटी से लेकर अंग अंग तक
कॉप उठा उनके घात का
आज सुनाये किस्सा तुमको
कल की सुहानी रात का

मधु से भरे अधरों पर
अहसास हुवा जब चुम्बन का
तन से लेकर मन तक
खिल उठा रोम – रोम उस गुलाब का
आज सुनाये किस्सा तुमको
कल की सुहानी रात का

तर्जनी नाची जब नाभि छिद्र पर
अहसास हुवा कुछ गर्म सांस का
नैनों से जब नयन मिले तो
मोती सा अश्क उनमे छुपा था
आज सुनाये किस्सा तुमको
कल की सुहानी रात का

दिल की धड़कने तेज थी
और तन में ना जाने कैसा दर्द था
अपना तो कवि मन ठहरा
लिख डाला किस्सा हाल-इ-दिल का
आज सुनाये किस्सा तुमको
कल की सुहानी रात का

3 Comments

  1. vmjain says:

    जबरदस्त रोमांस से भरी है कविता. जज्बा बनाये रखिये.

  2. Vishvnand says:

    मनभावन और Lovely,
    पर भई ये किस्सा कहाँ, ये तो एक वाकिया था .
    आपने “आज सुनाया वाकिया
    कल की सुहानी रात का”
    बधाई

    • Sanjay singh negi says:

      @Vishvnand,
      ys sir ji
      vakiya hi hai
      pr ye to khali kavi rachna hai
      agr ye real me hota to vakiya hota na
      to abhi to ye humare liye kissa hi hai
      jis din vakiya hoga us din yaha pr vakiya kar denge 🙂

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