« जान-पहचान जो पुरानी है | ***pankhuri…*** » |
चाहूँगा फिर भी मै, कि तुझ पे ये इल्ज़ाम न हो
Crowned Poem, Hindi Poetry |
अगर ये ज़िद है कि मुझसे दुआ-सलाम न हो
तो ऐसी राह से गुज़रो जो राहे आम न हो
अगर ये ज़िद है
तेरी जफा ने मुझे कहीं का न छोड़ा है
हो शाम ऐसी कोई, हाथ में जब जाम न हो
अगर ये ज़िद है
वैसे तो तुम्ही ने बर्बाद किया है मुझको
चाहूँगा फिर भी मै कि तुझ पे ये इल्ज़ाम न हो
अगर ये ज़िद है
तू ख़ूब फूले-फले, और ख़ुश रहे तू सदा
वो सुबह तेरे लिए हो कि जिसकी शाम न हो
अगर ये ज़िद है
बहुत खूब मज़ा आ गया, प्यारी रचना है
ये जिद कैसी है
जो लगती जिद सी नहीं,
अगर ये जिद है …
बधाई
@Vishvnand, बहुत धन्यवाद, विश्व जी.
bahut achhe sahay sahab.
@vpshukla, धन्यवाद, शुक्ला जी
एक बार गा के पॉडकास्ट पर सुनाते तो मजा ही दुगना हो जाता. वाह!
@Vikash, धन्यवाद, विकाश, पर पॉडकास्ट पर कैसे पोस्ट किया जाता है यह पता नहीं है.
@U.M.Sahai, It may look complicated. But once you do it, it will look very easy. Please see this tutorial I wrote long back: http://blog.p4poetry.com/2008/11/audio-poems-101.html
Hope to hear you soon. 🙂
@Vikash, Though the process appears to be quite long and difficult yet I ‘ll try it.
अगर ये ज़िद है कि मुझसे दुआ-सलाम न हो
तो ऐसी राह से गुज़रो जो राहे आम न हो
अगर ये ज़िद है
ye line muje bahut hi jyada pasand aayi
@Sanjay singh negi, धन्यवाद संजय
वाह , ऐसी जिद्द के क्या कहने !
@parminder, इस प्रतिक्रिया के लिए बहुत धन्यवाद, परमिंदर जी