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तन्हाई का डर

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मिला वो भी नहीं करते
मिला हम भी नहीं करते
वफ़ा वो भी नहीं करते और
दगा हम भी नहीं करते
उन्हें रुसवाई का दुःख
हमे तन्हाई का डर
हँसा वो भी नहीं करते
रुलाया हम भी नहीं करते
गम है उन्हें ये हम जानते है पर
गिला वो भी नहीं करते
और सिकवा हम भी नहीं करते
किसी मोड़ पर हो जाती है मुलाकात अक्सर
पर रुका वो भी नहीं करते
और ठहरा हम भी नहीं करते
जब भी नयन मिलते है उनसे
तो सोचते है मुस्करा कर कहेंगे उनसे
पर मुस्कराया वो भी नहीं करते
और कहा हम भी नहीं करते
संदेह कई है इस दिल में
पर सुना वो भी नहीं करते और
पुछा हम भी नहीं करते
इश्क है हमे ये वो जानते है
पर इन्तजार वो किया नहीं करते
और इजहार हम किया नहीं करते

15 Comments

  1. Vishvnand says:

    वाह संजय जी
    बहुत बाद पर बहुत खूब,
    बहुत बढ़िया और मनभावन
    बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ और अति सुन्दर हार्दिक भावनाओं से भरी और वो भी सरल रचना,
    दिल खुश हो गया…
    इसका हम इकरार भी करते हैं और इजहार भी ..

    “संदेह कई है इस दिल में
    पर सुना वो भी नहीं करते और
    पूछा हम भी नहीं करते ….
    इश्क है हमे ये वो जानते है
    पर इन्तजार वो किया नहीं करते
    और इजहार हम किया नहीं करते …”
    …. बहुत खूब क्या बात है
    प्यार में हम ऐसा ही क्यूँ किये रहते…?

    वैसे कुछ ख़ास नहीं पर कुछ थोड़े शब्द गलत छपे हैं उन्हें एडिट कर सुधार दीजिये

  2. Sanjay singh negi says:

    thank you sir ji
    wo mai utranchal ki kuch hasin vadiyo me man ko prafullit karne gaya tha
    to ab aa kar sari rachnao ko pulish kar raha hu
    thank you again sir ji

  3. vmjain says:

    अच्छा इज़हार है. आपकी बाकी कविताओं का इंतज़ार रहेगा.

    • Sanjay singh negi says:

      @vmjain, thanks sir ji
      maine pahle bhi kavita publish ki hai
      bs beech me kuch mahine se nahi ki hai
      so plz unki taraf bhi apni kavi nazar daliyega

  4. Reetesh Sabr says:

    किसी मोड़ पर हो जाती है मुलाकात अक्सर
    पर रुका वो भी नहीं करते
    और ठहरा हम भी नहीं करते

    ये मध्य पंक्तियाँ वाक़ई मेरु दंड की तरह हैं जो कविता के शरीर को संभाले हैं.
    थोड़ा बहुत पंक्तियों पर पुनर्विचार करेंगे तो व्यक्तता और बेहतर होगी, ऐसा मेरा निजी सुझाव है.
    आपको एक व्यक्तिगत सन्देश लिखा है, आशा है वह पढ़ लेंगे.

  5. sushil sarna says:

    गजब मेरे भाई गजब – सरल बात, सरल भाषा – सरल भावों का निराला अंदाज-समाँ बाँध दिया- सरना की हार्दिक बधाई स्वीकार करें नेगी साहिब

  6. U.M.Sahai says:

    बहुत खूब संजय मज़ा आ गया .

  7. rachana says:

    good one!

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