« संगिनी … | Sweet Innocence » |
तन और मन की बात ….!
Hindi Poetry |
रुको ज़रा, क्या समझ सकोगे ?
समझ सको तो समझ लो अब ही,
वरना देर बड़ी होवेगी,
फिर तुम कुछ ना कर पाओगे ……..!
.
बूढा बूढा होता जाता
मन का प्यार है मन के जैसा
हरदम जवाँ, जवाँ ही रहता ….!
जिस चेहरे से प्यार किया था,
वो तो न जाने हो गया कैसा,
पर जिस दिल से प्यार किया है,
वो है जवाँ पहले ही जैसा ……!
देहबुद्धि और आत्मबुद्धि,
ये विचार के दो भिन्न ढंग हैं,
जो सब दृश्य है, वो माया है,
स्थूल है वह सब, देहबुद्धि है,
जो अदृश्य है, मन का दर्पण,
सूक्ष्म है दिल सा, आत्मबुद्धि है …..!
देहबुद्धि में रहें भागते,
प्यासे ही तुम सदा रहोगे,
नश्वरता के जाल में फंस कर,
भागे दौडे थक जाओगे
शान्ति कभी ना तुम पाओगे ,
जल्दी बूढे हो जाओगे,
बूढ़े ही तुम मर जाओगे……!
आत्मबुद्धि से प्यार करोगे,
जीवन प्यारा अलग जियोगे,
अनुभूति के विश्व में रहकर
नश्वरता को समझ सकोगे
समाधान सुख तुम पाओगे,
दिल और मन को जवाँ रखोगे,
प्यार विश्व से कर पाओगे….!
तन के प्यार में भाग रहे हो,
सोचो तुम, सब समझ जाओगे
समझ से अपनी राह सुधारों
आत्मज्ञान की ओर ले जाओ
वरना देर बड़ी होवेगी,
फिर ना तुम कुछ कर पाओगे ….!
” विश्व नन्द “
A beautiful, meaningful poem. every line has its own meaning, anyone can learn a lot – any how I am speechless- badhaaee
@sushil sarna
Your comment about this poem has delighted me no end in gratitude.
Thank you so very much, sushil ji.
देहबुद्धी में रहें भागते,
प्यासे ही तुम सदा रहोगे,
बहुत मनभावन और प्यार की सच्ची भावना पर सुंदर शब्दों में लिखी गयी कविता/ गीत.
@vmjain
is rachanaa par sundar prashansneey pratikriyaa ke liye aapkaa sahradai aabhaar
बहुत सुन्दर कविता ! आत्म प्रेम से विश्व प्रेम की चिंता !प्यार का इससे अच्छा उदाहरण क्या होगा ?बधाई विश्व जी !
@vpshukla
सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.
जी हाँ, सच है, आत्मबुद्धि/आत्मज्ञान ही विश्वमन में समाने का मार्ग है जिसमे विश्वप्रेम की अनुभूति बनी रहती है
प्रेम-भावपूर्ण उत्कृष्ट रचना के लिए बहुत बहुत बधाई ! कृपया इसे सम्पूर्ण शुद्ध
रूप में लाने हेतु २-३ टंकण की त्रुटियाँ दूर करदें तो श्रेयष्कर होगा, जैसे “बुद्धी” शब्द
को जहां भी हो “बुद्धि” करदें और अद्रश्य को “अदृश्य” करने की कृपा करें !
@ashwini kumar goswami
आपकी बधाई हरदम मेरा उत्साह बढाती है . हार्दिक धन्यवाद.
और उससे भी ज्यादा धन्यवाद और आभार आपके अवलोकन और सुझाव का जिसके कारन मुझे ये त्रुटियाँ समझ में आयीं. मैंने उन्हें तुरंत सुधार दिया है.