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प्यार कर के जताना ना आया हमे
Hindi Poetry |
प्यार कर के जताना ना आया हमे
दिल की बात बताना ना आया हमे
आज हम पराये हो गए किसी के
और अश्क भी छुपाना ना आया उन्हें
दिल की बात बताना ना आया हमे
गमो में रहते थे वो अक्सर
गम का अहसास करना ना आया हमे
प्रेमी पथिक कहते थे हम उनको
पर पल भर का साथ निभाना ना आया उन्हें
दिल की बात बताना ना आया हमे
प्यार तो कहानी है अहसासों की
इस कहानी का नायक बनना ना आया हमे
हम तो हीर बन गए राँझा की
पर हीर की राँझा बनना ना आया उन्हें
दिल की बात बताना ना आया हमे
मुहब्बत में फना हो बैठे थे हम
पर मतलब – इ – इश्क समझाना ना आया हमे
भूल से जो भूल कर बैठे थे हम
इस भूल की कीमत भी चुकाना ना आया उन्हें
दिल की बात बताना ना आया हमे
पीछे हटे थे उनकी खुसी के लिए
पर हर एक भूल का इंतकाम करना ना आया हमे
जिस जां के लिए कुरवा हुवे थे
उस जां की कीमत भी समझना ना आया उन्हें
प्यार जुवां से बताना ना आया हमे
और प्यार जिन्दा रखना ना आया उन्हें
दिल की बात बताना ना आया हमे
प्यार कर के जताना ना आया हमे
रचना का अंदाज़ बहुत भाया,
पर लगा कि इसमें अगर और थोड़ा संशोधन और refinement करें तो ज्यादा अच्छी कविता और एक सुन्दर गीत बन सकता है.
ये सिर्फ व्यक्तिगत मत है, वरना रचना तो अच्छी सी है ..
@Vishvnand, mai poori kosis karunga sir ji
aaki baat ka khyal rakha jayega
very nice 🙂
thnks sir ji
छंद में अनगढ़पन और लयभंग कविता के प्रवाह को रुद्ध करते हैं.अगर ओपनिंग लाइनें यूँ होतीं तो बात बनती.
दिल की बातें बताना न आया हमें.
प्यार करके जताना न आया हमें.
हो गए हम पराये किसी के लिए
और आंसू छुपाना न आया हमें.
गम में रहते तो थे मुब्तिला हम मगर
गम में पर डूब जाना न आया हमें.
प्यार रुदाद है सिर्फ अहसास की
ये कहानी सुनाना न आया हमें.
हीर रांझे की बन जाऊं हसरत तो थी
हीर बनना बनाना न आया हमें.
—-आदि आदि, सोचियेगा क्या कुछ बेहतरी बन पड़ी या आप की मूल कविता ही बेहतर लगी.
@siddha Nath Singh,
thnx fo comment
sir ji aapke sujav or vichar kiya jayega
pr humari to itni achii hindi nahi hai
bs souk hai hai saral bhasa me likhne ka
to likh dete hai
aapki sangti me rah kar sikh rahe hai abhi likhna
thnx