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संगिनी ~ 2 …

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Hindi Poetry

   

    उनकी सोख अदाओं पे हम, घायल हुए जाते है

    जुल्फों की घनी घटाओ के हम, कायल हुए जाते है

    यह नजरों का जादू है उनकी, या फिर चाहतो का असर

    अब तो बस यू ही हम, कुछ पागल हुए जाते है

 

    मदभरी आँखों से उनके, झलके है चाहत का नशा

    देख चहरे का नूर लगे, जैसे खुदा है यही बसा

    मौशमी यह खुमारी है, या फिर उनका है कसर

    अब तो बस यू ही हम, कुछ पागल हुए जाते है

 

 

One Comment

  1. Vishvnand says:

    Good. Liked it

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