« कभी-कभी! | Passion for Poetry… » |
एक कलाकार
Uncategorized |
मैं एक कलाकार हूँ
पर खिलौना नहीं
मैं भी इंसान हूँ
मुझ में भी जान है
माना मेरी भी नकली मुस्कान है
पर सीने में मासूम से कुछ अरमान
मैं एक इंसान हूँ
इसी बात से परेशान हूँ
मैं भी खूब हंसाता हूँ कोई
मुझ में भी चाबी भरे जाता है
पर मैं लोहे का नहीं
कांच का सामान हूँ
मुझ से खेलो जरूर
चाहो तो कर दो चूर चूर
पर इतना बस कह देना जरूर
के इसमें भी जान है ये भी इंसान है
A realistic approach! good one!
अच्छी सी रचना है जरूर,
पर लगा कि उन्हें अपने पर फिजूल का है गुरूर ….
छोड़ दो ऐसों को जो हों ऐसे मगरूर …. 🙂