« तो सूरत तुम्हारी अजानी सी क्यों है | एहसास » |
कहो ना ?
Hindi Poetry |
हे प्रिये …. कहो ना
क्या कुछ याद आता है ..?
सावन की पहली बूँद जब
ओस बन उढ़ जाती है
उस ओस में उढ़ता
क्या कुछ दिखता है ..?
पतझड़ के बाद जब फूटे
पहली कोपल कोई
नयी ज़िन्दगी से भरी कोपल में
क्या कुछ दिखता है ..??
जब देखो अपने को
आईने में हर सुबह तुम
तब .. उसमें से झांकता
क्या कोई और दिखता है..?
हर पल , हर कण में
दिखता है कोई
और समां जाता है मुझमें
फिर कुछ याद आता है .. ?
हे प्रिये …….कहो ना ?
~12/04/10~
अच्छी अभिव्यक्ति, निराला अंदाज़,बधाई हो.
@siddhanathsingh, Shukriya ..
@Siddanathsingh – dhanyavad aapki badhayiyon ka.. 🙂
अच्छी रचना, पारुल, बधाई.
@U.M.Sahai, धन्यवाद … 🙂
पारुल ji, बहुत ही अच्छी कविता है आपकी . अच्छी अभिव्यक्ति प्रतीकात्मक शैली के साथ
@vikas yashkirti, शैली के बारे में जयादा जानकारी तो नहीं बस मेरी छोटी सी कोशिश है … 🙂
बहुत प्यारी सी रचना, नए से अंदाज़ मैं |
@parminder, अंदाज़ पसंद आया आपको यही बहुत है ..धन्यवाद .
Very nice parul ji ! 🙂
@Ravi Rajbhar, Thanks
bahut khubsoorat,dil ko chhu si gayi 🙂
@prachi, dhanyavad…:)