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कहो ना ?

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Hindi Poetry

हे प्रिये …. कहो ना

क्या कुछ याद आता है ..?

सावन की पहली बूँद जब

ओस बन उढ़ जाती है

उस ओस में उढ़ता

 क्या कुछ दिखता है ..?

पतझड़ के बाद जब फूटे

पहली कोपल कोई

नयी ज़िन्दगी से भरी कोपल में

क्या कुछ दिखता है ..??

जब देखो अपने को

आईने में हर सुबह तुम

तब .. उसमें से झांकता

क्या कोई और दिखता है..? 

 हर पल , हर कण में

दिखता है कोई

और समां जाता है मुझमें

फिर कुछ याद आता है .. ?

 हे प्रिये …….कहो ना ?

~12/04/10~

13 Comments

  1. siddhanathsingh says:

    अच्छी अभिव्यक्ति, निराला अंदाज़,बधाई हो.

  2. Parul says:

    @Siddanathsingh – dhanyavad aapki badhayiyon ka.. 🙂

  3. U.M.Sahai says:

    अच्छी रचना, पारुल, बधाई.

  4. पारुल ji, बहुत ही अच्छी कविता है आपकी . अच्छी अभिव्यक्ति प्रतीकात्मक शैली के साथ

    • Parul says:

      @vikas yashkirti, शैली के बारे में जयादा जानकारी तो नहीं बस मेरी छोटी सी कोशिश है … 🙂

  5. parminder says:

    बहुत प्यारी सी रचना, नए से अंदाज़ मैं |

  6. Ravi Rajbhar says:

    Very nice parul ji ! 🙂

  7. prachi says:

    bahut khubsoorat,dil ko chhu si gayi 🙂

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