« मैं अकेला हूँ यहाँ पर ….! (गीत) | Night of Passion ! » |
मेरे इष्टदेव
Uncategorized |
पवन पुत्र हनुमानजी तवचरणों में शीष |
नमा रहे यह सर्वदा दो मुझको आशीष ||
एक तुम्हारी भक्ति ही जीवन का उद्देश्य |
पाजाऊं भगवान तो रहे न कुछ भी शेष ||
मनो कामना भक्त की समझ सकेगा कौन |
भक्त शिरोमणि मारुती क्योँ बैठे हो मौन ||
ये तो बहुत सुन्दर, सरल, सीधी, संक्षिप्त
भक्तिरस में ओतप्रोत
सुखद प्रार्थना सी मन को भायी
रचना के लिए हार्दिक बधाई और इसे यहाँ share करने के लिए धन्यवाद ….
बहुत सुन्दर भक्ति रचना! और वो तो मौन रहकर भी सब कुछ कर रहा है!
very good hard touching