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निकल पड़े जो आंसू किसी के…

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Hindi Poetry

    निकल पड़े जो आंसू किसी के,

    होंठ मेरे मुस्कुरा दिये

    खुद में थे मशरूफ इतना कि,

    इन्शानियत ठुकरा दिये

    देख कर हो जाते थे खुश हम,

    तारों को यू ही टूटते हुए

    आज हुआ एहसास- ऐ-दर्द,

    जब देखा, खुद को खुद से रूठते हुए …

 

    जल गए जो अरमां किसी के,

    हम महफिले जमा लिए

    इस मै में थे मगरूर इतना कि,

    हम को यू ही भुला दिए

    देख कर हंस जाते थे हम,

    तूफानों को यू ही झूमते हुए

    आज हुआ तस्दीके-गम, जब देखा आशियाने डूबते हुए …

 

2 Comments

  1. pallawi says:

    आज हुआ तस्दीके-गम, जब देखा आशियाने डूबते हुए …
    bohut khub hume ehsaas tabhi hota hai jab khud pr gujarti hai
    achchi rachna!!!

  2. prachi says:

    पल्लवी के कमेन्ट से पूरी तरह सहमत,,अच्छी रचना विजय 🙂

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