« लहरों की तरह हम भी तड़पते से रह गए | ***जख्मों का हिसाब ….*** » |
निकल पड़े जो आंसू किसी के…
Hindi Poetry |
निकल पड़े जो आंसू किसी के,
होंठ मेरे मुस्कुरा दिये
खुद में थे मशरूफ इतना कि,
इन्शानियत ठुकरा दिये
देख कर हो जाते थे खुश हम,
तारों को यू ही टूटते हुए
आज हुआ एहसास- ऐ-दर्द,
जब देखा, खुद को खुद से रूठते हुए …
जल गए जो अरमां किसी के,
हम महफिले जमा लिए
इस मै में थे मगरूर इतना कि,
हम को यू ही भुला दिए
देख कर हंस जाते थे हम,
तूफानों को यू ही झूमते हुए
आज हुआ तस्दीके-गम, जब देखा आशियाने डूबते हुए …
आज हुआ तस्दीके-गम, जब देखा आशियाने डूबते हुए …
bohut khub hume ehsaas tabhi hota hai jab khud pr gujarti hai
achchi rachna!!!
पल्लवी के कमेन्ट से पूरी तरह सहमत,,अच्छी रचना विजय 🙂