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हाँ, हसरतें कुछ इस तरह, उठती है मेरे जहन में…
Hindi Poetry |
!! SAVE THE EARTH, MAKE THE WORTH !!
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बेइज्जत हर जगह तू, मैला है दामन तेरा,
आँखों से बहता लहू, उजड़ा है आँगन तेरा
पाक फिर दामन तेरा हो, और खुशिया फैले चमन में,
हाँ, हसरतें कुछ इस तरह, उठती है मेरे जहन में
सूनी है कलाई तेरी, लुट गया यौवन तेरा,
सुर्ख नम आँखे तेरी, जलता है सावन तेरा
फिर सजे हाथो में कंगन, और चमके तू गगन में,
हाँ, हसरतें कुछ इस तरह, उठती है मेरे जहन में
पाँव में कांटों की पायल, छिन गया बचपन तेरा
जिस्म है काजल सा काला, टूट गया दर्पण तेरा
फिर बजे पाँव में पायल, और महके तू बदन में
हाँ, हसरतें कुछ इस तरह, उठती है मेरे जहन में
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“ख़ुशी इस बात की ,
कोई तो मिला ऐसा सोचनेवाला
वरना यहाँ तो सोचहै लोगों की
मधुशाला या मधुबाला ”
प्रकृत्ति और धरती पर सोच के लिए साधुवाद
beautifully penned down….
इस उत्तम सोच के लिए बहुत बधाई, प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण एक ऐसा विषय है जिसके सम्बन्ध में हम सभी को न सिर्फ सोचना है बल्कि इस दिशा में जितना भी हो सके अपना सहयोग और योगदान भी देना है.
बहुत प्रशंसनीय तरीके से शब्दों में ढाला है धरती का बर्बाद होता रूप , काश, सब इसे पढ़ें और कुछ उपाय निकालें |