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हे शरीर तुम स्वस्थ रहो
Hindi Poetry |
हे शरीर तुम स्वस्थ रहो
हमारी देह नश्वर है यह सभी जानते हैं। फिर भी उस पर अत्याचार् करने से नहीं चूकते | वरन अज्ञान-वश व्यसनों, व्यंजनों और विचारों के माध्यम से मानो सदैव उससे प्रतिशोध लेने का प्रयास करते रहते हैं। यदि हम इस देह को सहयोग करें, तो निश्चित ही हमारे पूर्वजों व ऋषि मुनियों कि भांति हम भी इसे निरोगी एवं दीर्घ-जीवी बना सकते हैं। बस आवश्यकता है उनके बताये हुए मार्ग का अनुसरण करने की। योगाचरन सर्व श्रेष्ठ मार्ग है। आशा है प्रस्तुत पंक्तियाँ आपको पसंद आयेंगी | करेंगी।
योग के हर अंग से, प्रतिदिन तुम्हें पोषित करूँगा।।
यम, नियम को आचरित कर, आसनों को सिद्धकर।
और प्राणायाम से नव-प्राण भरता ही रहूँगा।।
अंतर्मुखी कर इंद्रियों को, प्रत्याहारी मैं बनूँगा।
देह तुमको सुदृढ़ करने के, जतन सब मैं करूँगा।।
किंतु प्रभु में धारणा कर, ध्यान जब करने लगूँ।
भूल कर निज भान को, जब मैं समाधि को वरुंगा।|
तब मुझे विचलित न करना, तुम मुझे सहयोग करना।
हे शरीर तुम स्वस्थ रहो, मैं तुम्हें सहयोग दूँगा।।
अति सुन्दर भावपूर्ण और बहुत अर्थपूर्ण रचना,
अपने शरीर के प्रति यही भावना उच्चकोटि की समझ का प्रतीक है.
इस रचना के लिए हार्दिक बधाई और बहुत धन्यवाद भी ..
@Vishvnand, परम आदरणीय विश्वनंद जी, कविता की मंशा को जाना और सराहा आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
कविता प्रेषित करने के तुरंत बादसे ही अंतरजाल में कुछ बाधा उत्पन्न हो गयी थी जो अभी ठीक हुई |
रचना पसंद आई. एक अलग अंदाज.
@Raj, राज जी रचना पसंद करने के लिए आपका धन्यवाद |
मुझे पसंद आई,,बिलकुल मेरे पापा के विचारो को कविता के रूप में पढ़ा मैंने जैसे 🙂
@prachi sandeep singla, आपकी इस प्रतिक्रया से रचना सार्थक हुई और मै गौरवान्वित | प्यारी सी प्रतिक्रया के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
एक अलग अंदाज़ में खूबसूरत रचना.
@vmjain, आपकी इस प्रतिक्रया के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
बहुत अच्छी कविता, बिल्लोर जी.
@U.M.Sahai, कविता पसंद करने के लिए आपका धन्यवाद |आपकी इस प्रतिक्रया से रचना सार्थक हुई |
पी फॉर पोयट्री के गुलदस्ते में एक अलग तरह का फूल जो खुशबु के साथ नवप्राण भी देता है . सुन्दर शिक्षवर्धक कविता.
@c k goswami, योग के आठों अंगों को समाविष्ट करते हुए अपने ही शरीर से किया गया आग्रह आपको पसंद आया आपका धन्यवाद |सुन्दर सी प्रतिक्रया के लिए पुन: धन्यवाद |
बहुत सुन्दर भाव! स्वस्थ शरीर स्वस्थ मन की और अग्रसर करता है, और स्वस्थ मन ईश्वर की और| बहुत बढ़िया!
@parminder, प्यारी सी प्रतिक्रया के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |