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उनका गम
Hindi Poetry, Uncategorized |
मिले इस शहर से जो गम
वो उनके बिछड़ने के गम से
कम था!
लिखी हमने जिसे पी के ये लाइने
उस नाचीज का नाम
रम था!
पिने लगे है उनके गम में
विदेसी ठर्रे
क्यूंकि गम मिटाने का दम
जाफरानी में
कम था!
ढक्कन सूंग के कभी
हो जाता था नशा
आज ढक्कनों से ही
पता चलता है
उनके इस सितम का
हमे तो अपनों ने लूटा
जाफरानी में कहाँ दम था
अपने अस्कों में डूबे हम वहां
जहाँ विदेशी ठेका कम था !
मान गए
उनके गम के नशे में बहुत दम है ,
जो जाफरानी विस्की या रम से न होता कम है …
@Vishvnand, sundar prtikiya ke liye
dhanyvaad
aapke vichar bhi sahi hai
व्हिस्की,रम,बीयर से बेहतर है ये देशी ठर्रा
जिसे पीते ही आसमां में पहुँच जाये जमीं से जर्रा
लत लगी है अगर पीने की रोजमर्रा
यूँ ही लिखते रहो,भरते रहो कागज के फ़र्रा