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उनका गम

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Hindi Poetry, Uncategorized

मिले इस शहर से जो गम
वो उनके बिछड़ने के गम से
कम था!
लिखी हमने जिसे पी के ये लाइने
उस नाचीज का नाम
रम था!
पिने लगे है उनके गम में
विदेसी ठर्रे
क्यूंकि गम मिटाने का दम
जाफरानी में
कम था!
ढक्कन सूंग के कभी
हो जाता था नशा
आज ढक्कनों से ही
पता चलता है
उनके इस सितम का
हमे तो अपनों ने लूटा
जाफरानी में कहाँ दम था
अपने अस्कों में डूबे हम वहां
जहाँ विदेशी ठेका कम था !

3 Comments

  1. Vishvnand says:

    मान गए
    उनके गम के नशे में बहुत दम है ,
    जो जाफरानी विस्की या रम से न होता कम है …

  2. c.k.goswami says:

    व्हिस्की,रम,बीयर से बेहतर है ये देशी ठर्रा
    जिसे पीते ही आसमां में पहुँच जाये जमीं से जर्रा
    लत लगी है अगर पीने की रोजमर्रा
    यूँ ही लिखते रहो,भरते रहो कागज के फ़र्रा

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