« पी4पोएट्री का बादल | वक़्त वक़्त की बात » |
तुम कह दो
Hindi Poetry |
बाहों में भले ही वो,
कितने तूफ़ान समेटे हो
उम्मीद की कश्ती को,
चाहे कितनी ही बार बिखेरे हो
तुम कह दो तो ये सागर अपार नहीं लगता
तूफानों से लड़ना यूँ बेकार नहीं लगता
सपनो से भी मेरे वो,
कितनी ही दूरी पर बैठा हो
छू लेने की कोशिश पर,
“नादान” कह के हँस देता हो
पर तुम कह दो तो क्षितिज पहुँच के पार नहीं लगता
सपनो का पीछा करना भी बिन सार नहीं लगता
कुछ तो जादू- मंतर है तुम्हारे इस विश्वास में
कि इस से बढ़कर तो ये संसार नहीं लगता
हालातों का मुझपर कुछ अख्तियार नहीं लगता
बस तुम कह दो तो …
not bad dear but yes needs some polishing in my opinion 🙂 keep writing
@prachi sandeep singla, thnx for ur comments, will try to improve in the future 🙂
Indeed a good try. Liked the thought. Keep it up.
@Raj, thnx 🙂
रचना का अंदाज़ बहुत बढ़िया है
बहुत मन भाया
@Vishvnand, शुक्रिया सर
It touched my heart!!
thnx 🙂